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कोरोना वैक्सीन के लिए किस फेज में है दुनिया की 140 टीमों का रिसर्च, क्या इस हफ्ते आएगी पहली वैक्सीन?
कोरोना वैक्सीन के लिए किस फेज में है दुनिया की 140 टीमों का रिसर्च, क्या इस हफ्ते आएगी पहली वैक्सीन?

वैज्ञानिकों की 140 से ज्यादा टीमें कई महीनों से रात-दिन एक कर सुरक्षित और प्रभावी टीका बनाने की कोशिश में जुटी हैं। दुनिया की अलग-अलग सरकारों की नजर सटीक वैक्सीन पर है। वैक्सीन पाने के लिए इस वक्त हर देश में होड़ है।

इस मौसम में कोरोना के साथ फैल रहा डेंगू, एक्सपर्ट  से जानें बचने की सावधानियां
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इस मौसम में कोरोना के साथ फैल रहा डेंगू, एक्सपर्ट से जानें बचने की सावधानियां

वीडियो डेस्क। बारिश के मौसम में डेंगू होने का खतरा ज्यादा होता है।   डेंगू बुखार, जिसे आमतौर पर हड्डी तोड़ बुखार के रूप में भी जाना जाता है, एक फ्लू जैसी बीमारी है, जो डेंगू वायरस के कारण होती है। यह तब होता है, जब वायरस वाला एडीज मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है। डेंगू चार वायरसों के कारण होता है, जो इस प्रकार हैं - डीईएनवी-1, डीईएनवी-2, डीईएनवी-3 और डीईएनवी-4। जब यह पहले से संक्रमित व्यक्ति को काटता है तो वायरस मच्छर के शरीर में प्रवेश कर जाता है। और बीमारी तब फैलती है जब वह मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है, और वायरस व्यक्ति के रक्तप्रवाह के जरिये फैलता है।क बार जब कोई व्यक्ति डेंगू बुखार से उबर जाता है, तो वह विशिष्ट वायरस से प्रतिरक्षित होता है, लेकिन अन्य तीन प्रकार के वायरस से नहीं। यदि आप दूसरी, तीसरी या चौथी बार संक्रमित होते हैं तो गंभीर डेंगू बुखार, जिसे डेंगू रक्तस्रावी बुखार के रूप में भी जाना जाता है, के विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है। डेंगू से बचने के लिए क्या सावधानियां रखना चाहिए बता रहे हैं मध्य प्रदेश के भोपाल के सिटी हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉक्टर सव्यसाची गुप्ता।  
 

फैट लॉस करने वाला डाइट चार्ट,  वजन कम करने का धांसू IDEA
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फैट लॉस करने वाला डाइट चार्ट, वजन कम करने का धांसू IDEA

वीडियो डेस्क। आज कल कई लोग मोटापे की समस्या से ग्रस्त हैं। सामान्यतः यह देखा जाता है कि मोटापे से ग्रस्त होने या वजन के बढ़ने पर लोग तुरंत जिम ज्वाइन कर लेते हैं, और वजन घटाने के लिए खूब मेहनत भी करते हैं, लेकिन इसके बाद भी मोटापा कम नहीं होता। क्या आप जानते हैं कि मोटापा ना घटने का सबसे बड़ा कारण क्या है। आपकी डाइट सही नहीं होने के कारण वजन में कमी नहीं आती है। जिम में ट्रेनर भी लोगों को व्यायाम करने के साथ-साथ अपनी डाइट को सही रखने की सलाह देते हैं। इसलिए यहां मोटापा कम करने के लिए डाइट प्लान की जानकारी दी जा रही है। 
 

Dengue होने पर शरीर में कैसे बदलाव आते हैं , एक्सपर्ट ने बताए कैसे करें बचाव
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Dengue होने पर शरीर में कैसे बदलाव आते हैं , एक्सपर्ट ने बताए कैसे करें बचाव

   डेंगू बुखार, जिसे आमतौर पर हड्डी तोड़ बुखार के रूप में भी जाना जाता है, एक फ्लू जैसी बीमारी है, जो डेंगू वायरस के कारण होती है। यह तब होता है, जब वायरस वाला एडीज मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है। डेंगू चार वायरसों के कारण होता है, जो इस प्रकार हैं - डीईएनवी-1, डीईएनवी-2, डीईएनवी-3 और डीईएनवी-4। जब यह पहले से संक्रमित व्यक्ति को काटता है तो वायरस मच्छर के शरीर में प्रवेश कर जाता है। और बीमारी तब फैलती है जब वह मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है, और वायरस व्यक्ति के रक्तप्रवाह के जरिये फैलता है।क बार जब कोई व्यक्ति डेंगू बुखार से उबर जाता है, तो वह विशिष्ट वायरस से प्रतिरक्षित होता है, लेकिन अन्य तीन प्रकार के वायरस से नहीं। यदि आप दूसरी, तीसरी या चौथी बार संक्रमित होते हैं तो गंभीर डेंगू बुखार, जिसे डेंगू रक्तस्रावी बुखार के रूप में भी जाना जाता है, के विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है। डेंगू होने पर शरीर में क्या बदलाव आते हैं ? बता रही हैं भोपाल की सिटी हॉस्पिटल डॉक्टर अंजू गुप्ता
 

सावधन: यहां डेट बदलकर 5 साल पुराने सामान बेच रहे दुकानदार, लोगों की जिंदगी से कर रहे खिलवाड़
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सावधन: यहां डेट बदलकर 5 साल पुराने सामान बेच रहे दुकानदार, लोगों की जिंदगी से कर रहे खिलवाड़

 कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में अनलॉक लहा है। प्रशासन ने किराना स्टोर पर मिल रहे सामान के रेट फिक्स कर दिए हैं। बावजूद इसके कई दुकानदार 2 से तीन गुना तक महंगे दाम में सामान बेच रहे हैं। 
कोरोना वायरस के चलते प्रशासन ने सुबह 6 से 9 बजे तक का समय किराना व्यापारियों की दुकान के लिए समय निर्धारित कर दिया है। प्रशासन लगातार दुकानदारों को काला बाजारी के नाम पर चेतावनी दे रहा है। प्रशासन का दावा है कि जो भी व्यापारीकालाबाजारी करेगा उसके खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा। ऐसे में सोशल मीडिया पर एक वीडियो सामने आया है। जिस देख आप दंग रह जाएंगे कालाबाजारी के साथ यहां लोगों की जान से सीधा खिलवाड़ हो रहा है। यहां कुछ लोग 5 साल पुराने साबुन को नया कर रहे हैं वो भी उसकी एक्सपायरी  डेट चेंज करके। ये शॉकिंग वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। 

कोरोना से बचाव का डॉक्टर ने निकाला गज़ब का जुगाड़, मरीज की ऐसे पकड़ी बीमारी
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कोरोना से बचाव का डॉक्टर ने निकाला गज़ब का जुगाड़, मरीज की ऐसे पकड़ी बीमारी

कोरोनावायरस का कहर कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है। आम लोगों के साथ अब डॉक्टर्स भी डरे हुए हैं। मरीजों का इलाज भी करना है और खुद को भी सुरक्षित रखना है। ऐसा में एक वीडियो सामने आया है। इस वीडियो में डॉक्टर बिना पीपीई किट पहनकर मरीज का इलाज कर रहा है, वो भी जुगाड़ से। डॉक्टर ने स्टेथोस्कोप के तार को लंबा किया और मरीज को दूर बिठा दिया और उसकी बीमारी को पकड़ा।

दूर बैठाकर मरीज की बीमारी पकड़ी
अस्पताल में फ्रंटलाइन डॉक्टर्स मरीज के करीब रहकर उनका इलाज कर रहे हैं तो वहीं क्लीनिक में यह डॉक्टर बिना पीपीई किट के ऐसे इलाज कर रहे हैं वीडियो में देखा जा सकता है कि क्लीनिक में डॉक्टर दूर बैठे हैं और मरीज को बेड के दूसरी तरफ बिठाया है. वो उसको स्टेथोस्कोप को छाती पर रखने को कहते हैं और कान लगाकर उसकी दिल की धड़कनें सुनते हैं  फिर मरीज दूर से ही अपनी परेशानी बताता है। 

16 मसालों को मिलाकर कोरोना किल वाला काढ़ा पिला रहा चायवाला, आप भी जानें उन जड़ी बूटियों के नाम
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16 मसालों को मिलाकर कोरोना किल वाला काढ़ा पिला रहा चायवाला, आप भी जानें उन जड़ी बूटियों के नाम

वीडियो डेस्क। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के प्रकोप से बचने के लिए लोग हर संभव कोशिश कर रहे हैं, वहीं पीएम के आह्वान के बाद उनके संसदीय क्षेत्र बनारस के लोग आपदा में अवसर खोज रहे हैं  वाराणसी  में एक चाय वाले ने कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के आपदा काल में एक ऐसा अवसर ढूंढा जिसको बनारसियों ने हाथों हाथ लिया है।  चाय वाले ने कोरोना काल में चाय की दुकान बंद करके बनारसी काढ़े की दुकान खोल ली है.।आज इस दुकान पर काढ़ा पीने वालों की लाइन लगी रहती है। बताते हैं आपको कैसे तैयार होता है ये काढ़ा आयुर्वेदिक काढ़े में 16 मसालों को शामिल किया है जिसमें तुलसी, अश्वगंधा, मुलेठी, गिलोय, दालचीनी, लौंग, काली मिर्च, छोटी इलाइची, सौंठ पाउडर, काला मुनक्का, तेज पत्ता, अजवाइन, पीपर, गुड़ और अर्जुन का छाल है।   इस काढ़े को अच्छे से पकाते हैं, ताकिसभी आयुर्वेदिक मसालों के मिश्रणों का अर्क पूरी तरह से काढ़े में मिल जाए। कोरोना बचाने के लिए आयुर्वेदिक औषधी शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाती है। 

कोरोना के लक्षण होने पर किए जाते हैं ये 3 टेस्ट, इनके बारे में जानिए ये जरूरी बातें
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कोरोना के लक्षण होने पर किए जाते हैं ये 3 टेस्ट, इनके बारे में जानिए ये जरूरी बातें

कोरोनावायरस के मामले हर गुजरते दिन के साथ बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में दुनियाभर की सरकारें इस पर रोक लगाने के लिए इसकी जांच की संख्या बढ़ाने में लगी हुई है। फिलहाल कोरोना वायरस की जांच के लिए इस समय पूरी दुनिया में 3 तरह के टेस्ट किए जा रहे हैं। इनमें ब्लड टेस्ट स्वाब टेस्ट और सलाइवा टेस्ट शामिल हैं। ऐंटिबॉडी और ऐंटिजन टेस्ट ब्लड टेस्ट का ही हिस्सा हैं। जबकि स्वाब टेस्ट को ही RT-PCR टेस्ट के नाम से भी जाना जाता है। यहां जानें इनसे जुड़ी जरूरी बातें।

अस्थमा से पीड़ित बच्चों के लिए खतरनाक हो सकता है कोरोनावायरस
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अस्थमा से पीड़ित बच्चों के लिए खतरनाक हो सकता है कोरोनावायरस

कोरोनावायरस का कहर इस समय पूरी दुनिया पर छाया हुआ हे। दुनिया के कई देश इसकी दवा बनाने में लगे हुए हैं लेकिन उसे भी बनने में अभी काफी समय लगेगा। ऐसे में बुजुर्ग और बच्चों के लिए खतरा ज्यादा बढ़ जाता है, खासकर अगर आपका बच्चा अस्थमा से पीड़ित है तो उसके लिए ये स्थिति काफी खतरनाक साबित हो सकती है अगर सही से ध्यान नहीं रखा गया। इसलिए इस समय अस्थमा से पीड़त बच्चों का ध्यान रखना और भी ज्यादा जरूरी हो जाता है। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन का कहना है कि मध्‍य से गंभीर अस्‍थमा के मरीजों को इस वायरस से ज्‍यादा खतरा है।

डिजिटल गैजेट्स की लत बच्‍चों को बना रही बीमार, एक्सपर्ट की इन टिप्स को अभी से करें फॉलो
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डिजिटल गैजेट्स की लत बच्‍चों को बना रही बीमार, एक्सपर्ट की इन टिप्स को अभी से करें फॉलो

आज के दौर में डिजिटल गैजेट्स का इस्‍तेमाल  ज्‍यादा बढ़ने लगा है। इसके गंभीर परिणाम भी सामने आ रहे हैं। बच्चे भी इसका खूब इस्तेमाल कर रहे हैं।  स्‍क्रीन एडिक्‍शन से बच्‍चों में भाषा और बोलने की प्रक्रिया का विकास बाधित हो सकता है। इस मामले में एक्‍पर्ट भी चेतावनी दे चुके हैं कि भारतीय बच्‍चों में स्‍मार्टफोन, टैबलेट, आईपैड और लैपटॉप की वजह से कई तरह की बीमारियां लगातार बढ़ रही हैं। बच्चे सबसे ज्यादा स्क्रीन वाले गेजेट्स जैसे-टीवी, मोबाइल, लैपटॉप, टैबलेट आदि के आदी हो रहे हैं. यही वजह है कि बच्‍चे बहुत कम उम्र में ही कई तरह की शारीरिक और मानसिक समस्याओं से घिरने लगे हैं। डॉक्टर विनिता रामनानी  एम.एस ऑफ्थेल्मोलॉजी, भोपाल, म.प्र. ने हमें बताया कि इससे बचने के लिए किन बातों का ध्यान रखना है। कई रिसर्च में यह बात सामने आई है कि जो बच्चे टीवी और मोबाइल पर ज्यादा समय बिताते हैं, उनकी क्रिएटिविटी कम हो जाती है. यह उनके मानसिक विकास के लिए बेहतर नहीं है. ऐसे में बहुत जरूरी है कि बच्चों का गैजेट्स के प्रति एडिक्शन खत्म किया जाए।
 

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