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लॉकडाउन में पिता की अर्थी को कंधे पर लेकर चलीं 4 बेटियां, अंतिम संस्कार देख हर कोई रोया
लॉकडाउन में पिता की अर्थी को कंधे पर लेकर चलीं 4 बेटियां, अंतिम संस्कार देख हर कोई रोया

कवर्धा (छत्तीसगढ़). लॉकडाउन में देश से रोज दिल को झकझोर देने वाली खबरें सामने आ रही हैं। छत्तीसगढ़ में ऐसी ही एक दुखद तस्वीर देखने को मिली। जहां बेटा नहीं होने पर चार बेटियों ने अपने पिता की अर्थी ना केवल कंधा दिया, बल्कि, उन्हें मुखाग्नि देकर बेटे का फर्ज निभाया। जब बेटियों ने पिता का क्रिया-क्रम करने का जिम्मा उठाया तो गांव के लोग भी रो पड़े।

TIK TOK वीडियो बना रही थीं 2 सहेलियां, तभी एक का पैर फिसला और वो 50 फीट गहरे पानी में डूबने लगी..
TIK TOK वीडियो बना रही थीं 2 सहेलियां, तभी एक का पैर फिसला और वो 50 फीट गहरे पानी में डूबने लगी..

TIK TOK वीडियो के चक्कर में  लोग किस तरह जान जोखिम में डाल रहे हैं, यह घटना इसका उदाहरण है। करीब 50 फीट गहरी स्टोन खदान के मुहाने पर खड़े होकर वीडियो बना रही एक लड़की पैर फिसलने पर नीचे जा गिरी। उसे बचाने दूसरी सहेली ने खदान में छलांग मार दी। इस घटना में वीडियो बनाने वाली लड़की बच गई, लेकिन सहेली डूब गई।

लॉकडाउन के हो रहे साइड इफेक्ट, पत्नी ने कहा-दिनभर बैठे-बैठे फ्री का खा रहे हो, पति बैग उठाकर चल दिया
लॉकडाउन के हो रहे साइड इफेक्ट, पत्नी ने कहा-दिनभर बैठे-बैठे फ्री का खा रहे हो, पति बैग उठाकर चल दिया

कोरोना से निपटने के लिए सरकार ने 3 मई तक लॉकडाउन बढ़ा दिया है। ऐसे में सभी लोग अपने घरों में कैद हैं। वहीं देश में लॉकडाउन के साइड इफेक्ट दिखने शुरू हो गए हैं। जहां पति-पत्नी के विवाद बढ़ने लगे हैं, ऐसा ही एक अनोखा मामला छत्तीसगढ़ में को देखने को मिला।
 

पंडितजी बोले थे कि शादी टाली, तो फिर करते रहना इंतजार, फिर देखिए क्या हुआ
पंडितजी बोले थे कि शादी टाली, तो फिर करते रहना इंतजार, फिर देखिए क्या हुआ

बिलासपुर, छत्तीसगढ़. लॉकडाउन के कारण कइयों को अपनी शादी आगे खिसकाना पड़ी हैं। लेकिन कुछ लोगों ने आगे अच्छा मुहूर्त न होने पर 2-3 परिजनों की मौजूदगी में ही शादी करना उचित समझा। यह छत्तीसगढ़ की पहली कोर्ट मैरिज है। इस कपल की 8 अप्रैल को कोर्ट में शादी होना थी, लेकिन लॉकडाउन से टल गई। विशेष परिस्थितियों को देखते हुए प्रशासन ने 23 अप्रैल को इनकी कोर्ट मैरिज करा दी। यह कपल है बिलासपुर के आनंद और रायपुर की अंकिता गुरुवार शाम 4 बजे बिलासपुर के जिला विवाह कार्यालय में इनकी कोर्ट मैरिज हुई। लॉकडाउन के दौरान यह छत्तीसगढ़ की पहली कोर्ट मैरिज है।

250 किमी पैदल चलकर घर पहुंचने को थे मजदूर, तभी अड़चन बन गई नदी, घबराकर लगा दी छलांग
250 किमी पैदल चलकर घर पहुंचने को थे मजदूर, तभी अड़चन बन गई नदी, घबराकर लगा दी छलांग

सुकमा, छत्तीसगढ़. दिल दहलाने वाली यह तस्वीर लॉकडाउन में फंसे मजदूरों की दयनीय हालत को दिखाती है। ऐसी कई तस्वीरें सामने आती रही हैं, जिनमें सैकड़ों मजदूरों को पैदल ही अपने घरों की ओर जाते देखा गया। ये 6 मजदूर काम-धंधा बंद हो जाने पर आंध्र प्रदेश से पैदल चलकर अपने घर को निकले थे। ये सभी ओडिशा के रहने वाले हैं। जब ये 250 किमी पैदल चलकर छत्तीसगढ़ के सुकमा पहुंचे, तो देखा कि सामने शबरी नदी बह रही थी। जब उन्हें वहां से निकलने का कोई दूसरा रास्ता नहीं सूझा, तो उन्होंने नदी में छलांग मार दी। उन्हें उम्मीद थी कि वे तैरकर नदी पार कर लेंगे, लेकिन सभी मझधार में फंस गए। करीब 2 घंटे वे यूं ही फंसे रहे। गनीमत रही कि समीप के गांव में रहने वाले मछुआरों तक यह खबर पहुंची और उन्होंने सबकी जान बचा ली।

कोरोना की त्रासदी में कोख में ही थम गई धड़कन, पैदा हुआ 2 सिर और एक धड़ वाला बच्चा
कोरोना की त्रासदी में कोख में ही थम गई धड़कन, पैदा हुआ 2 सिर और एक धड़ वाला बच्चा

दुर्ग (छत्तीसगढ़). कोरना की दहशत में एक अजीब मामला सामने आया, जिसको सुनकर डॉक्टर से लेकर हर कोई हैरान है। छत्तीसगढ़ में एक महिला ने दो सिर और एक धड़ वाले बच्चे को जन्म दिया है। 

एक बेटी के मां-बाप की CM से भावुक अपील, 'उसे वापस ले आइए, डर है कि वो कुछ कर न ले'
एक बेटी के मां-बाप की CM से भावुक अपील, 'उसे वापस ले आइए, डर है कि वो कुछ कर न ले'

महासमुंद, छत्तीसगढ़. यह तस्वीर लॉकडाउन में फंसे बच्चों के माता-पिता के दर्द को दिखाती है। इस दम्पती की बेटी कोटा में पढ़ाई कर रही है। लॉकडाउन के कारण वो वहां फंसी हुई है। इन्हें डर है कि उनकी बेटी इस माहौल से डिप्रेशन में आकर कुछ उल्टा-सीधा न कर ले। मन में बुरे-बुरे ख्याल आते ही यह दम्पती रो पड़ा। इसने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नाम एक भावुक वीडियो संदेश भेजा है। इसमें दम्पती रोते हुए कह रहे हैं कि उनकी बेटी कोटा में फंसी हुई है। उसे ठीक से खाने को भी नहीं मिल रहा। वो बहुत डरी हुई है। इस दम्पती ने कहा कि वो हाथ जोड़कर-पांव पड़कर विनती कर रहे हें कि उनकी बेटी को घर ले आइए। इसके लिए जो शर्त होगी, वो उन्हें मंजूर है। इसी तरह ही(पहली तस्वीर) महासमुंद की रहने वाली एक छात्रा ने भी मुख्यमंत्री को एक पत्र भेजा है। इसमें उसने घर वापस लाने की अपील की है।

मुझसे और नहीं चला जाता, पेट दु:ख रहा है, साथ चल रहे लोगों ने प्यार से कहा-बस घर आने वाला  है
मुझसे और नहीं चला जाता, पेट दु:ख रहा है, साथ चल रहे लोगों ने प्यार से कहा-बस घर आने वाला है

बीजापुर, छत्तीसगढ़. एक गरीब और लाचार परिवार को लॉकडाउन की कीमत अपनी इकलौती 12 साल की बेटी को खोकर चुकाना पड़ी। यह मजदूर बच्ची तेलंगाना के पेरूर गांव से पैदल अपने गांव के लिए निकली थी। बच्ची बीजापुर जिले के आदेड़ गांव की रहने वाली थी। लॉकडाउन में काम-धंधा बंद हो जाने पर यह बच्ची गांव के ही 11 दूसरे अन्य लोगों के साथ घर को लौट रही थी। ये लोग 3 दिनों में करीब 100 किमी चल चुके थे। कभी ऊबड़-खाबड़ रास्ते..कभी सड़क...तो कभी जंगलों के रास्ते ये लोग अपने घर के नजदीक बढ़ रहे थे। इस दौरान बच्ची ने कई बार कहा कि उसका पेट दु:ख रहा है। साथ चल रहे लोगों ने सोचा कि पैदल चलने से ऐसा हो रहा होगा। वे बच्ची को दिलासा देते रहे..कभी प्यार से हाथ फेरते रहे और कहते रहे कि बस घर आने ही वाला है। सचमुच घर नजदीक आ चुका था। लेकिन घर से 14 किमी पहले बच्ची ऐसी गिरी कि फिर उठ न सकी। घटना के वक्त मां-बाप घर पर उसके लौटने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। अपनी बेटी को खोने का दु:ख मां-बाप की आंखों से आंसू बनकर बह निकला। पूछने पर सिर्फ इतना कहा-गरीबों का दु:ख कौन समझेगा?
 

12 राज्यों में जाकर शहीदों के घर से मिट्टी इकट्टा करने निकला था यह यु़वक, लॉकडाउन में फंसा
12 राज्यों में जाकर शहीदों के घर से मिट्टी इकट्टा करने निकला था यह यु़वक, लॉकडाउन में फंसा

कोरोना संक्रमण ने एक युवक के मिशन पर ब्रेक लगा दिए हैं। यह युवक देशभर से शहीदों के घरों पर जाकर मिट्टी इकट्टा कर रहा था। गुजरात में इसका समापन होना था, लेकिन लॉकडाउन के कारण वो सुकमा में फंस गया है। युवक बस्तर के लिए निकला था। युवक ने कहा कि लॉकडाउन खुलते ही वो फिर से अपने मिशन पर निकलेगा। युवक 12 राज्यों में करीब 64000 किमी का सफर कर चुका है।

ऐसे योद्धाओं को सलाम: 7 माह की गर्भवती ACP रात को कर रही ड्यूटी, अपने ही सिपाहियों को सिखाया सबक
ऐसे योद्धाओं को सलाम: 7 माह की गर्भवती ACP रात को कर रही ड्यूटी, अपने ही सिपाहियों को सिखाया सबक

रायपुर. कोरोना को हराने के लिए पुलिस के जवान एक योद्धा की तरह मैदान में डटे हैं। वह इस महामारी को मिटाने के लिए दिन-रात ड्यूटी कर रहे हैं। ऐसी ही एक कहानी छत्तीसगढ़ से सामने आई है। जहां  7 माह की गर्भवती ACP महिला पुलिस अधिकारी रात को सड़कों पर ड्यूटी कर अपना फर्ज निभा रही है।

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