कहां से आया उल्टे पल्लू की साड़ी पहनने का चलन?,PM मोदी ने खोला ये राज, सुनाया बहू ज्ञाननंदनी का किस्सा

वीडियो डेस्क। पीएम मोदी ने पश्चिम बंगाल के शांति निकेतन में विश्व भारती विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह को संबोधित किया। उन्होंने कहा, विश्व भारती विश्वविद्यालय के 100 वर्ष होना प्रत्येक भारतवासी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। मेरी लिए भी ये सुखद है कि आज के दिन इस तपोभूमि का पुण्य स्मरण करने का अवसर मिल रहा है। 

| Updated : Dec 24 2020, 04:11 PM
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वीडियो डेस्क। पीएम मोदी ने पश्चिम बंगाल के शांति निकेतन में विश्व भारती विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह को संबोधित किया। उन्होंने कहा, विश्व भारती विश्वविद्यालय के 100 वर्ष होना प्रत्येक भारतवासी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। मेरी लिए भी ये सुखद है कि आज के दिन इस तपोभूमि का पुण्य स्मरण करने का अवसर मिल रहा है। बता दें कि साल 1921 में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने विश्व भारती यूनिवर्सिटी की स्थापना की थी। मई 1951 में इसे एक केंद्रीय विश्वविद्यालय और इंस्टीट्यूशन ऑफ नेशनल इंपॉर्टेंस घोषित किया गया था।  पीएम ने कहा, सत्येंद्र नाथ टैगोर की पत्नी ज्ञानेंद्री देवी जब अहमदाबाद में रहती थीं, तब उन्होंने दखा कि वहां महिलाएं साड़ी का पल्लू दाईं ओर रखती थीं। तब महिलाओं को काम करने में दिक्कत होती थी। तब उन्होंने साड़ी का पल्लू बाईं तरफ रखने की सलाह दी जो अबतक जारी है। आपको बता दें कि ज्ञाननंदनी देवी रविंद्रनाथ टैगोर के बड़े भाई सत्येंद्रनाथ टैगोर की पत्नी थीं। वह 1863 में भारतीय सिविल सर्विस में जाने वाली पहली भारतीय थीं। दरअसल ज्ञाननंदनी देवी ने अपनी इंग्लैंड और बॉम्बे की यात्राओं के अनुभवों और पारसी गारा पहनने के तरीकों को मिलाकर साड़ी पहनने का तरीका निकाला जो आज भी भारत में प्रचलन में है।

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