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जिनके पास खाने को पैसे नहीं, उनसे आप 4000 रुपए मांग रहे... 70 क्या, 700 किमी भी होता, तो ये पैदल घर जाते
जिनके पास खाने को पैसे नहीं, उनसे आप 4000 रुपए मांग रहे... 70 क्या, 700 किमी भी होता, तो ये पैदल घर जाते

कांकेर, छत्तीसगढ़. यह तस्वीर स्वास्थ्य सेवाओं की हकीकत दिखाती है। गरीबों को समुचित इलाज दिलाने कई योजनाएं चल रही हैं, लेकिन उनका किसे लाभ हो रहा है, यह घटना यही बताती है। इस मरीज को डिस्चार्ज  के बाद घर लौटना था। अस्पताल ने एम्बुलेंस का इंतजाम नहीं किया। संजीवनी एम्बुलेंस के ड्राइवर ने इसने निवेदन किया, तो जवाब मिला कि 4000 रुपए लगेंगे। जिन लोगों के पास खाने को पैसे नहीं, उनके लिए यह रकम बहुत बड़ी थी। आखिकार मरीज और उसके परिजन मायूस होकर 70 किमी दूर पैदल ही अपने घर को निकल पड़े। बता दें कि इस मरीज को कांकेर से रायपुर रेफर किया गया था। लेकिन वे वहां का खर्चा नहीं उठा सकते थे, इसलिए डॉक्टर ने उन्हें घर जाने की अनुमति दे दी। यह मामला मंगलवार को जिला अस्पताल में देखने को मिला।

धूम फिल्म देखकर अचानक पैसा कमाने की यह आइडिया आया, ट्रैक्टर गायब हो गया...किसी को खबर तक नहीं हुई
धूम फिल्म देखकर अचानक पैसा कमाने की यह आइडिया आया, ट्रैक्टर गायब हो गया...किसी को खबर तक नहीं हुई

धूम फिल्म देखने के बाद खुद को चोरों का उस्ताद बनाने की दिशा में निकले एक चोर गिरोह ने सबसे पहले ट्रैक्टर को उठाया। वे ट्रैक्टर चलाकर नहीं ले गए, बल्कि उसे कंटेनर में रखा और यूपी के आगरा पहुंचे। यहां उन्होंने ट्रैक्टर बेच दिया। पिछले जून से पुलिस इस मामले की जांच कर रही थी। अब कहीं जाकर यह चोर गिरोह पकड़ में आया।

10 वीं पास लड़के खेत में बैठकर MBA वालों को बना देते थे बेवकूफ,  चुटकियों कमा लेते थे करोड़ों रुपए
10 वीं पास लड़के खेत में बैठकर MBA वालों को बना देते थे बेवकूफ, चुटकियों कमा लेते थे करोड़ों रुपए

फर्जी फाइनेंस कंपनी बनाकर लोन दिलाने के नाम पर भोले भाले लोगों को अपने जाल में फंसा कर चूना लगा रहीं हैं। ऐसा ही एक ठगी की वारदात छत्तसीगढ़ से सामने आई है। पुलिस ने यूपी के बुलंदशहर से तीन युवकों को गिरफ्तार किया है। 

मां ने कभी नहीं छोड़ी थी बेटी के मिलने की आस, 15 साल बाद गले लगी, तो घंटों बस रोती ही रही
मां ने कभी नहीं छोड़ी थी बेटी के मिलने की आस, 15 साल बाद गले लगी, तो घंटों बस रोती ही रही

यह कहानी एक मां और बेटी के पुनर्मिलन की है। 33 वर्षीय बेटी 15 साल पहले मानसिक बीमारी के चलते अपना घर-परिवार सब भूल गई। वो भटकते हुए पश्चिम बंगाल से छत्तीसगढ़ पहुंच गई। इस दौरान प्रशासन ने उसे मेंटल हॉस्पिटल भेज दिया। जब वो ठीक हुई, तब उसे अपनी मां और परिवार की याद आई। इसके बाद छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की पहल पर उसके परिजनों को ढूंढ लिया गया। मां और बेटी जब गले मिले, तो देखकर दूसरे लोग भी भावुक हो उठे।
 

नहीं देखा होगा ऐसा पक्षी प्रेमी, जो पक्षियों को बच्चों की तरह पाल रहा..देखने वाले भी हो जाते हैरान
नहीं देखा होगा ऐसा पक्षी प्रेमी, जो पक्षियों को बच्चों की तरह पाल रहा..देखने वाले भी हो जाते हैरान

छत्तीसगढ़ में एक शख्स ऐसे हैं, जिनकी पक्षियों से इस कदर दोस्ती है कि उनको देखकर लोग हैरान हो जाते हैं। वह रोज अपनी घर की छत पर सैकड़ों कौवे अपने बच्चों की तरह उनके हाथों से दाना चुगाते हैं।

स्कूल तक कोई गाड़ी पहुंचना मुश्किल हुआ, तो टीचर ने खरीद लिया घोड़ा
स्कूल तक कोई गाड़ी पहुंचना मुश्किल हुआ, तो टीचर ने खरीद लिया घोड़ा

रायपुर, छत्तीसगढ़. कहते हैं कि मां-बाप के बाद शिक्षक ही बच्चों का भविष्य बेहतर बनाकर एक अच्छे देश और समाज का निर्माण करते हैं। यह और बात है कि इसके लिए मां-बाप और शिक्षकों को बड़े कष्ट उठाने पड़ते हैं। आज भी गांवों के सरकारी स्कूलों की हालत अच्छी नहीं है। भवनों या अन्य सुविधाओं की बात छोड़ दीजिए, वहां तक पहुंचना भी शिक्षकों के लिए एडवेंचर से कम नहीं होता। स्कूल तक सड़क नहीं, कहीं नदी-नाले या जंगल पार करने पड़ते हैं। लेकिन कई शिक्षक ऐसे हैं, जो इन सारी बाधाओं को पार करके बच्चों को पढ़ाने जाते हैं। ऐसे ही एक शिक्षक हैं बीरबल सिंह। ये कवर्धा जिले के पंडरिया तहसील के तहत आने वाले बिरेनबाह गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ाते हैं। इस स्कूल तक पहुंचने के लिए बीरबल को खराब सड़क और बरसाती नदी पार करनी पड़ती है। बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो, इसलिए उन्होंने डेढ़ लाख रुपए में यह घोड़ा खरीद लिया। अब वे रोज 5 किमी इसी घोड़े से स्कूल जाते हैं। टीचर्स-डे(5 सितंबर) पर पढ़िए बीरबल के अलावा ऐसे ही शिक्षकों के बारे में...

कमजोर दिल वाले न देखें ये तस्वीरें, चकनाचूर बस में फंसे मजदूरों की हालत क्या होगी, कोई सोच नहीं सकता
कमजोर दिल वाले न देखें ये तस्वीरें, चकनाचूर बस में फंसे मजदूरों की हालत क्या होगी, कोई सोच नहीं सकता

रायपुर, छत्तीसगढ़. ये तस्वीरें किसी का भी दिल दहला सकती हैं। ट्रक ने इस बस को पीछे से इतनी भीषण टक्कर मारी कि वो चकनाचूर हो गई। ऐसे पिचकी कि उसमें सवार मजदूरों को हिलते-डुलते भी नहीं बना। वे चीखते रहे कि उन्हें बचा लो। यह खतरनाक हादसा शनिवार तड़के करीब 5.30 बजे रायपुर में हुआ। इस हादसे में 7 लोगों की मौत हो गई। वहीं, 20 से ज्यादा बुरी तरह घायल हुए हैं। ट्रक की टक्कर इतनी भीषण थी कि बस का एक हिस्सा पूरी तरह तहस-नहस हो गया। यह बस ओडिशा के गंजाम जा रही थी। बस सूरत से आ रही थी। तभी छेरीखेड़ी इलाके में यह हादसा हो गया। बस में 50 से ज्यादा मजदूर बैठे थे। ये सूरत के कपड़ा मिल में काम करने जा रहे थे। अनलॉक के बाद काम पर लौटने की खुशी चंद सेकंड में काफूर हो गई। देखें कुछ तस्वीरें...

बड़ा हादसा: मजदूरों को ले जा रही बस ट्रक से टकराई, 7 की मौके पर मौत; सात जख्मी
बड़ा हादसा: मजदूरों को ले जा रही बस ट्रक से टकराई, 7 की मौके पर मौत; सात जख्मी

 छत्तीसगढ़ के रायपुर में शनिवार को बड़ा हादसा हो गया। यहां के चेरी खेड़ी में मजदूरों से भरी बस ट्रक से टकरा गई। इस हादसे में 7 लोगों के मारे जाने की खबर है। वहीं, 7 लोग जख्मी बताए जा रहे हैं। 

शादी पक्की करके घर लौट रहे थे युवक, रास्ते में नक्सलियों ने मारकर लाशों पर चिपका दिया पर्चा
शादी पक्की करके घर लौट रहे थे युवक, रास्ते में नक्सलियों ने मारकर लाशों पर चिपका दिया पर्चा

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में शुक्रवार सुबह नक्सलियों ने दो युवकों की हत्या कर दी। नक्सली उन्हें गोपनीय सैनिक मान रहे थे। नक्सलियों ने लाशों पर एक पर्चा भी लगाया। इसमें दंतेवाड़ा एसपी अभिषेक पल्लव को इसके लिए जिम्मेदार माना। मृतक अपने परिजनों के साथ एक रिश्ता तय करके लौट रहे थे। मृतकों में से एक की शादी पक्की हुई थी।

सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक फोटो ने दिव्यांग बच्चे की बदल दी लाइफ, बड़े-बड़े लोग हुए इसके फैन
सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक फोटो ने दिव्यांग बच्चे की बदल दी लाइफ, बड़े-बड़े लोग हुए इसके फैन

दंतेवाड़ा, छत्तीसगढ़. सोशल मीडिया पर सक्रिय रहना कोई बुरी बात नहीं। हां, जरूरत उसके सदुपयोग की है। सोशल मीडिया पर वायरल हुए फोटोज ने कइयो की किस्मत बदली हैं। इनमें से एक है दंतेवाड़ा जिले के गांव बेंगलुरु निवासी 17 वर्षीय दिव्यांग क्रिकेट मड्डाराम। दोनों पैरों से दिव्यांग मड्डाराम को क्रिकेट खेलने का बहुत शौक है। वो सामान्य बच्चों के साथ खूब क्रिकेट खेला करता है। रन लेते समय वो दोनों हाथों के सहारे दौड़ता है। बात जनवरी की है, जब मड्डाराम का क्रिकेट खेलते एक फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। उसे देखकर सचिन तेंदुलकर इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने ट्वीट करके बच्चे की मदद करने का ऐलान किया था। अब मड्डाराम को क्रिकेट अकादमी भेजा जा रहा है। मड्डाराम को नागपुर की एक क्रिकेट अकादमी ने ट्रेनिंग देने की बात कही है। वहीं, पुणे की भी एक अकादमी ने उसे अपने यहां बुलाया है। पढ़िए पूरी कहानी...

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