मर चुकी हैं संवेदनाएं! बेटी की लाश और रिश्वत मांगता 'बेंगलुरु', एक पिता का रुला देने वाला दर्द

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बेंगलुरु, जो कभी टेक्नॉलजी और सपनों का शहर कहा जाता था, वहां से आई है एक ऐसी सच्चाई जिससे हर भारतवासी का दिल कांप उठा है। यह कहानी है भारत पेट्रोलियम के पूर्व चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर शिवकुमार के. की, जिन्होंने अपनी इकलौती 34 वर्षीय बेटी अक्षया को ब्रेन हैमरेज की वजह से अचानक खो दिया। लेकिन दुख सिर्फ यहीं तक नहीं थमा। शुरू होता है बेंगलुरु शहर के सिस्टम से टकराने का सिलसिला। एम्बुलेंस ड्राइवर ने शव ले जाने के लिए खुले आम 5,000 रुपए मांगे। अस्पताल से श्मशानघाट तक हर जगह पैसे मांगे गए, दुख की इस घड़ी में भी संवेदनाएँ बिकती रहीं।

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