Kissa UP Ka: हैसियत कम होने के बावजूद भाजपा में क्यों जमे हैं वरुण और मेनका गांधी
जब से सोनिया गांधी ने विरासत पर कब्जा किया है तब से मेनका की बस यही तमन्ना है कि वह उनका राजनीतिक पतन देखें। मेनका उस दल में बने रहना चाहती है जो सोनिया को सत्ता से दूर रख सके। इसी के चलते वह 1988 में जनता दल में शामिल हुईं। फिर जब भाजपा उस स्थिति में आ गई कि वह कांग्रेस को चुनौती दे सके तो वह 2004 में भाजपा में शामिल हो गईं।
लखीमपुर खीरी कांड हो या किसानों की समस्या, हर बार भाजपा की राह में सांसद वरुण गांधी कठिनाईयां खड़ी कर रहे हैं। जब भी यूपी में भाजपा किसी बड़ी समस्या में फंसी दिखती है तो वरुण पार्टी की परेशानियों को कम करने के बजाए बीते कुछ समय से उसे बढ़ाते ही दिखाई पड़ते हैं। जिसके बाद यह सवाल खड़ा होता है कि हैसियत कम होने और विरोधी होने के बावजूद भी वरुण गांधी और मेनका गांधी भाजपा में क्यों जमे हुए हैं?
बीते कुछ समय से वरुण गांधी ने लगातार भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। हालांकि जब 2004 में जब वह भाजपा में शामिल हुए थे तो उन्होंने कहा था कि हर सही सोच रखने वाले भारतीय को उस पार्टी को मजबूत करना चाहिए जिसने देश को आगे बढ़ाया है। लोगों के जहन में सवाल आ रहा है कि आखिर ऐसा क्या हो गया है जो उनको भाजपा रास नहीं आ रही है? ज्ञात हो कि वरुण गांधी की मां मेनका गांधी पिछली बार मोदी सरकार में मंत्री भी थीं। हालांकि दोबारा सरकार बनने पर उनका पत्ता कट गया। इसके बाद राष्ट्रीय कार्यकारिणी से भी मेनका गांधी और वरुण गांधी को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। इसके बाद से जहां मेनका बचाव की मुद्रा में हैं तो वहीं वरुण गांधी आक्रामक रुख अख्तियार किए हुए हैं।
इस कारण से हैं भाजपा के साथ
जब से सोनिया गांधी ने विरासत पर कब्जा किया है तब से मेनका की बस यही तमन्ना है कि वह उनका राजनीतिक पतन देखें। मेनका उस दल में बने रहना चाहती है जो सोनिया को सत्ता से दूर रख सके। इसी के चलते वह 1988 में जनता दल में शामिल हुईं। फिर जब भाजपा उस स्थिति में आ गई कि वह कांग्रेस को चुनौती दे सके तो वह 2004 में भाजपा में शामिल हो गईं।
वरुण की नाराजगी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वह लगातार पार्टी के खिलाफ जाकर ट्वीट कर रहे हैं। यही नहीं फरवरी 2022 में ही उनका एक ऑडियो वायरल हुआ था जिसमें उन्होंने सपा प्रत्याशी के पक्ष में वोट अपील की थी। यूपी चुनाव से पहले उन्होंने कोलकाता में पीएम की सफल रैली को भी विफल बताया था 2014 में तो वरुण ने मंच पर मोदी-मोदी के नारे पर डांटते हुए कहा था कि ये मोदी-मोदी क्या है। इसके बाद उन्होंने 2015 में आरोप लगाया था कि दूसरे दलों की तुलना में भाजपा में युवाओं को कम मौका मिलता है।
सोनिया गांधी के बाद अब इंदिरा की विरासत को राहुल और प्रियंका संभाल रही हैं। इनके रहते मेनका कभी भी कांग्रेस में जाने के बारे में सोच भी नहीं सकती हैं। कई बार वरुण के भी कांग्रेस में जाने की चर्चाएं आती रही हैं। हालांकि गांधी बनाम गांधी परिवार के बीच में जो कड़वाहट घुली हुई है उसके बाद मिठास की गुंजाइश फिलहाल दिखाई नहीं पड़ती है।
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