सोयाबीन पर IIT BHU के प्रोफेसर ने किया रिसर्च, स्किन सर्जरी पर आ सकती है नई क्रांति

यूपी की विश्वनाथ नगरी में स्थित IIT BHU के प्रोफेसर ने रिसर्च किया है, जिसमें स्किन सर्जरी को लेकर एक नई क्रांति आ सकती है। कई सालों से चल रहा शोध अब जाकर सफल हो गया। इसको सफल बनाने के लिए चूहों पर शोध किया गया है।

| Updated : Jul 21 2022, 02:03 PM
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वाराणसी: IIT BHU सोयाबीन अब सिर्फ सब्जी-तेल और ईसबगोल पेट साफ करने की दवा के रूप में नहीं बल्कि गंभीर रूप से चोटिल, कटी-फटी, जली त्वचा व गहरे घावों को ठीक करने में भी उपयोगी होगा। यही नहीं, इनके बने पैच और मलहम त्वचा प्रत्यारोपण की आवश्यकता को लगभग समाप्त कर देंगे। रसायन मुक्त, वनस्पति प्रोटीन आधारित ये पैच, मलहम व साल्यूशन किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव से तो मुक्त रहेंगे ही, प्राकृतिक रूप में ऊतकों (टिश्यू) के तेजी से विकसित होने में भी सहायक हैं। ये पैच और मलहम भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बीएचयू के स्कूल ऑफ बायोमेडिकल इंजीनियरिंग के विज्ञानियों ने लंबे शोध के बाद विकसित किए हैं।

स्कूल ऑफ बायोमेडिकल इंजीनियरिंग टिश्यू इंजीनियरिंग और बायोमाइक्रोफ्लुइडिक्स प्रयोगशाला के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. संजीव महतो व उनके शोध छात्रों ने चूहों पर इस शोध का सफल प्रयोग कर चमत्कारिक परिणाम प्राप्त किए हैं। यह शोध स्किन सर्जरी व इंप्लांटेशन (प्रत्यारोपण) के क्षेत्र में नई क्रांति लाने वाला साबित हो सकता है। प्रो. संजीव महतो का यह प्रयोग अमेरिकन केमिकल सोसाइटी के प्रतिष्ठित जर्नल अप्लाइड मैटेरियल्स एंड इंटर फेजेज व इंटरनेशनल जर्नल आफ बायोलाजिकल माइक्रोमालीक्यल्स में प्रकाशित हो चुका है।

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