राजस्थान का सियासी ड्रामा, कब कैसे और कहां से हुआ शुरू ?

वीडियो डेस्क। राजस्थान में सियासी संकट का ड्रामा चरम पर है। 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर शुरू हुई खींचतान अब सरकार गिराने तक पहुंच गई है। चुनावों के बाद कुर्सी को लेकर अशोक गहलोत और सचिन पायलट आमने सामने आ गए थे। कांग्रेस हाईकमान ने अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री की कुर्सी दी थी और सचिन पायलट को डिप्टी सीएम पद से संतोष करना पड़ा था। सचिन पायलट इस समय कांग्रेस की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष भी हैं और ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री भी हैं। 

| Updated : Jul 13 2020, 03:37 PM
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वीडियो डेस्क। राजस्थान में सियासी संकट का ड्रामा चरम पर है। 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर शुरू हुई खींचतान अब सरकार गिराने तक पहुंच गई है। चुनावों के बाद कुर्सी को लेकर अशोक गहलोत और सचिन पायलट आमने सामने आ गए थे। कांग्रेस हाईकमान ने अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री की कुर्सी दी थी और सचिन पायलट को डिप्टी सीएम पद से संतोष करना पड़ा था।

सचिन पायलट इस समय कांग्रेस की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष भी हैं और ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री भी हैं। लेकिन ये सियासी संकट एसओजी की ओर से 'सरकार गिराने की कोशिशों के आरोपों की जांच' में मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री को पूछताछ का नोटिस जारी होने के बाद चरम पर पहुंच गया है। आपको बता दें कि विधायकों की ख़रीद-फ़रोख़्त के प्रयासों की जांच कर रही एसओजी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट, पार्टी के चीफ़ व्हिप के अलावा कई मंत्रियों और विधायकों को पूछताछ के लिए नोटिस भेजा है।

इस प्रक्रिया में करीब दस विधायकों के काल डिटेल और रिकार्डिंग भी जुटाई गई है। गहलोत ने इस पूरी प्रक्रिया में पायलट की भूमिका की जानकारी केंद्रीय नेतृत्व को भी बताई थी। यही कारण है कि डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने अपने नज़दीकी विधायकों के साथ दिल्ली का रुख़ किया है। अब ये सियासी संकट क्या रुख लेगा ये आने वाला वक्त ही बताएगा। 

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