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Manipur : जातीय हिंसा भड़कने के दो साल बाद भी इंतजार में विस्थापित परिवार, रोज झेल रहे परेशानी
मणिपुर में जातीय हिंसा भड़कने के दो साल बाद भी 50,000 से ज़्यादा लोग विस्थापित हैं, जो तंग और अक्सर अस्वच्छ राहत शिविरों में रह रहे हैं। उनमें से एक थलजासी बैते भी हैं, जो अब चूड़ाचांदपुर में एक युवा छात्रावास में रहते हैं, उनके साथ 500 से ज़्यादा विस्थापित कुकी लोग भी हैं। स्वच्छ पानी, उचित आश्रय और चिकित्सा सुविधाओं की कमी से जूझ रहे विस्थापितों का दैनिक संघर्ष बाहरी दुनिया के सामने नहीं आ पाता है। जातीय हिंसा को करीब से देख चुके बच्चों और परिवारों चुपचाप दयनीय जीवन जीने को मजबूर हैं। सरकार और गैर सरकारी संगठनों के प्रयासों के बावजूद, शांति और सामान्य स्थिति दूर का सपना ही बना हुआ है। यह वीडियो आपको उन लोगों की अनकही मानवीय कहानियाँ दिखाता है जो अभी भी सम्मान, उपचार और उम्मीद के साथ घर लौटने का इंतज़ार कर रहे हैं।