Inside Story: मथुरा में 1992 से नहीं चल पाई सपा की साइकिल, ground Report में लोगों ने बताई असल वजह
1992 से लेकर आज तक सपा सरकार एक भी सीट MLA, MP की अपनी नहीं निकाल पाई है। मथुरा के लोगों से जब सपा सरकार के कार्यकाल के बारे में बात की तो यहां लोगों की अलग-अलग प्रतिक्रिया है सुनने को मिलीं।
निर्मल राजपूत
मथुरा: 1992 में सपा सरकार पार्टी का गठन होने के बाद से ही सपा मथुरा में अपना वर्चस्व नहीं बना पाई। लड़कियों का मुख्यमंत्री बने थे तो लोहिया वाहिनी के एक स्थानीय नेता के द्वारा वैश्यों की जमीनों पर कब्जे और गुंडागर्दी के चलते यहां के लोग सपा से नाराज हैं। 1992 से लेकर आज तक सपा सरकार एक भी सीट MLA, MP की अपनी नहीं निकाल पाई है। मथुरा के लोगों से जब सपा सरकार के कार्यकाल के बारे में बात की तो यहां लोगों की अलग-अलग प्रतिक्रिया है सुनने को मिलीं।
समाजवादी पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष तनवीर अहमद ने बताया कि ऐसी बात नहीं है पार्टी ने अपने प्रत्याशियों को उतारा है। गठबंधन भी किए हैं लेकिन दुर्भाग्य रहा कि पार्टी के यहां से कोई भी प्रत्याशी लोकसभा और राज्यसभा में नहीं जा पाए। पूर्व जिला अध्यक्ष ने कहा कि 1992 से लेकर आज तक प्रत्याशियों की जीत ना होन कहीं ना कहीं एक मन को भी शंका है। यहां के लोग इस बार पार्टी को समर्थन देंगे और देवेंद्र अग्रवाल के साथ-साथ अन्य सीटों पर भी गठबंधन और सपा के प्रत्याशी जीतेंगे।
सपा सरकार बनते ही वैश्य के गोदाम पर किया गया था कब्जा
स्थानीय नागरिक कृष्ण कुमार गर्ग ने बताया कि सपा सरकार के प्रत्याशियों की जीत ना होने की एक मुख्य वजह है। 1992 में सपा सरकार पार्टी बंद कर सत्ता में आई थी और 93-94 में यहां के स्थानीय नेता जोकि समाजवादी से थे उन्होंने एक वैश्य के गोदाम पर कब्जा कर लिया था। इसी बात से नाराज होकर प्रदेश के वैश्य समाज के लोग एकत्रित हुए और करीब 1 महीने तक आंदोलन चलता रहा। बृजेश शर्मा जो कि लोहिया वाहिनी के नेता हुआ करते थे उन्होंने एक वैश्य के गोदाम को कब्जा लिया था। मुलायम सिंह यादव के मामला संज्ञान में आया तो उन्होंने तत्काल ही आदेश कर उस गोदाम को कब्जे से मुक्त कराया था। मथुरा के लोगों के अंदर खासी नाराजगी इसी वजह से हैं। प्रत्याशी ढंग का ना उतरने की वजह से भी यहां सपा सरकार अपना प्रत्याशी जीता नहीं पाई।
स्थानीय ओबीसी का नहीं नेता कोई मजबूत
स्थानीय नागरिक अनिल गौतम से जब बात की तो उन्होंने बताया कि यहां कांग्रेस का वर्चस्व शुरू से ही रहा है। सपा ने ओबीसी का कोई भी ऐसा नेता नहीं उतारा है जो विकास की बात के साथ-साथ विकास कर सके। मथुरा शहर में यादवों की संख्या कम है और यही वजह है कि सपा पार्टी आज तक नहीं जीत पाई है। जिस तरह से पूर्वांचल में उन्होंने दिग्गज नेता चुनावी मैदान में हर बार उतारे यहां भी कोई ऐसा नेता मजबूत उतारना चाहिए था जो सपा की सीट को निकाल सके। उन्होंने यह भी बताया कि सपा के साथ-साथ बीएसपी, कांग्रेस और रालोद में कोई नेता मजबूत नहीं है सपा की सीट इस वजह से भी यहां से गठबंधन के दौरान नहीं निकली।
कारसेवकों पर मुलायम ने चलवाई थी गोली
भानु पंडित ने सपा सरकार के बारे में बताते हुए कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने अयोध्या में बाबरी मस्जिद के ढांचे को गिराने को लेकर गोलियां कारसेवकों पर चलवाई थी। गोलियों से मथुरा के लोग आहत हुए और यहां से सपा सरकार की एक भी सीट ना निकले यह लोगों ने सोच लिया है। मुख्य वजह कारसेवकों पर गोली चलवा ना भी सपा की हार है।