Kissa UP Ka: चौधरी चरण सिंह ने चुनाव में शराब कारोबारी से चंदा लेने से किया था इंकार

पश्चिमी यूपी में जन्में चौधरी चरण सिंह अपने अक्खड़ रवैये और सिद्धांतों से समझौता न करने के लिए मशहूर थे। जिस समय देश और विदेश में पंडित जवाहरलाल नेहरू की तूती बोलती थी उस समय भी कांग्रेस में रहते हुए नेहरू के कई निर्णयों को गलत कहने का साहस उन्होंने दिखाया था। वह राजनीति भी मूल्यों पर आधारित ही करते थे। 

Asianet News Hindi | Updated : Mar 04 2022, 03:55 PM
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लखनऊ: चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही शराब की खपत भी खूब बढ़ जाती है। फिर मतदान से पहले तो पुलिस भी खूब धरपकड़ अभियान चलाती है और प्रत्याशी भी उससे बचकर काफी मतदाताओं को रिझाने के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं। आज उम्मीदवारों की पात्रता न ही चुनावी मुद्दा है और न ही इस पर विशेष ध्यान दिया जाता है। लेकिन हमारे ही बीच में ऐसे भी राजनेता हुए हैं जिन्होंने न सिर्फ देश की आजादी के संघर्ष में हिस्सा लिया बल्कि मूल्यों की राजनीति भी की। हम बात कर रहे हैं चौधरी चरण सिंह की। 

पश्चिमी यूपी में जन्में चौधरी चरण सिंह अपने अक्खड़ रवैये और सिद्धांतों से समझौता न करने के लिए मशहूर थे। जिस समय देश और विदेश में पंडित जवाहरलाल नेहरू की तूती बोलती थी उस समय भी कांग्रेस में रहते हुए नेहरू के कई निर्णयों को गलत कहने का साहस उन्होंने दिखाया था। वह राजनीति भी मूल्यों पर आधारित ही करते थे। 

चौधरी चरण सिंह को राजनीतिक जीवन में सबसे ज्‍यादा त्‍यागपत्र देने वाले नेताओं में सबसे ऊपर रखा जाए तो यह अतिश्‍योक्ति न होगी। आज जब प्रत्याशी ऐन केन प्रकारेण चुनाव जीतना चाहते हैं ऐसे में हमें चौधरी चरण सिंह के जीवन का एक वाकया याद आता है। चौधरी चरण सिंह ने चुनाव के दौरान एक बार शराब के व्‍यापारी का चंदा लौटा दिया था।
चौधरी चरण सिंह 1937 से लगातार 1977 तक छपरौली सीट से जीतकर विधायक बनते रहे। उनको कभी चुनाव में प्रचार की जरूरत नहीं पड़ती थी और वह कभी चुनाव में पैसा भी खर्च नहीं करते थे। एक चुनाव में बड़ा शराब कारोबारी चौधरी चरण सिंह के पास पहुंचा और उनको मोटा चंदा देने की पेशकश की। चौधरी चरण सिंह ने उनसे कारोबार के बारे में पूछा। बताया कि उनका शराब का कारोबार है। यह सुनते ही चौधरी चरण सिंह ने कहा कि वह उनसे चंदा नहीं लेंगे और चंदा ही नहीं, उनसे किसी भी तरह की मदद भी नहीं लेंगे।

चौधरी चरण सिंह ने कहा कि जिस शराब के वह खिलाफ रहते हैं, अगर उसका कारोबार करने वालों से मदद लेंगे तो युवा पीढ़ी को नशे से कैसे दूर रखा जाएगा। चौधरी चरण सिंह चुनावों में शराब बांटना तो दूर, शराब से जुड़े लोगों से मदद तक लेने को तैयार नहीं होते थे।

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