AMU में मुस्लिम छात्रों ने गायत्री मंत्र के साथ पढ़ी हनुमान चालीसा, मौलाना ने छात्रों को लेकर कही बड़ी बात

एएमयू में मुस्लिम छात्रों द्वारा गायत्री मंत्र और हनुमान चालीसा पढ़ा गया और एक सांप्रदायिक सौहार्द का संदेश देने का प्रयास किया गया। इस पर देवबंदी उलेमा मुफ्ती असद कासमी ने कहा कि एएमयू के अंदर कुछ मुस्लिम छात्रों ने गायत्री मंत्र और हनुमान चालीसा पढ़ा। उनका कहने का मकसद यह था कि हमारा यह पढ़ना सिर्फ और सिर्फ भाईचारे के लिए था। 

/ Updated: Apr 21 2022, 02:06 PM IST

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अलीगढ़:  एएमयू में मुस्लिम छात्रों द्वारा गायत्री मंत्र और हनुमान चालीसा पढ़ा गया और एक सांप्रदायिक सौहार्द का संदेश देने का प्रयास किया गया। इस पर देवबंदी उलेमा मुफ्ती असद कासमी ने कहा कि एएमयू के अंदर कुछ मुस्लिम छात्रों ने गायत्री मंत्र और हनुमान चालीसा पढ़ा। उनका कहने का मकसद यह था कि हमारा यह पढ़ना सिर्फ और सिर्फ भाईचारे के लिए था। हिंदू मुस्लिम एकता के लिए था। तो इस बारे में मुक्तसर वजाहत में इस्लाम की रोशनी में यह कहना चाहूंगा कि हम तमाम लोग तमाम देशवासी आपस में प्यार मोहब्बत चाहते हैं। इस्लाम ने हमेशा प्यार मोहब्बत का संदेश दिया है और प्यार मोहब्बत चाहते हैं। इस मुल्क के अंदर । लेकिन भाईचारे का मतलब यह नहीं कि दूसरे मजहब के उसूलों रिवाज को इख़्तियार किया जाए ।उनको पढ़ा जाए भाईचारे के लिए। जरूरी है कि एक दूसरे के सुख दुख में काम आए एक दूसरे की परेशानियों में कदम से कदम मिलाकर खड़े रहे। एक दूसरे से प्यार मोहब्बत होना चाहिए यह भाईचारा है। यह नहीं कि हम ये कहे कि हमारे हिंदू भाई मस्जिदों के अंदर नमाज़ पढ़े या कुर्बानी के आयाम में आत्र हमारे यहां पर गोश्त खाएं । या हमारे दूसरे मजहब के फरज़ो को इख़्तियार करें। यह ना कहे कि हमारे भाई हनुमान चालीसा पढ़े या अजान पढ़े यह मुनासिब नहीं है। यह शरीयत के अंदर नहीं है। भाईचारे के लिए यह जरूरी है कि एक दूसरे से प्यार मोहब्बत हो अनुशांति का संदेश दिया जाए  और एक दूसरे के लिए सुख दुख में हमेशा साथ हो तो जो एएमयू के छात्रों ने किया है। यह मुनासिब नहीं है भाईचारे के लिए।