BSP की प्रेस कांफ्रेंस में उठा 69 हजार शिक्षक भर्ती आरक्षण का मुद्दा

शिक्षक भर्ती में आरक्षण घोटाले के मुद्दे पर मायावती ने कहा कि शिक्षक भर्ती में अभ्यर्थी जो घोटाले का आरोप लगा रहे हैं यह बहुत बड़ा मामला है इसकी जांच होनी चाहिए तथा उनकी शिकायतों को स्टेट गवर्नमेंट को दूर करना चाहिए ।

Asianet News Hindi | Updated : Dec 23 2021, 05:25 PM
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लखनऊ: उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव (UP Chunav) के लिए बसपा सुप्रीमो मायावती (Mayawati) भी अब चुनावी मोड में आ गई हैं। उत्तर प्रदेश में बसपा के सभी 75 जिलों के जिलाध्यक्षों संग अहम बैठक से पहले मायावती (BSP Chief Mayawati) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के उस फैसले का समर्थन किया है, जिसमें मतदाता पहचान पत्र को आधार कार्ड से जोड़ने की बात कही गई है। दरअसल, चुनाव सुधार से जुड़े ‘निर्वाचन विधि (संशोधन) विधेयक 2021’ को लोकसभा ने मंजूरी दे दी है। इस बिल में इस बात की व्यवस्था की गई है कि मतदाता को अपना मतदाता पहचान पत्र (Voter ID) बनवाने के लिए आधार नंबर बताना अनिवार्य होगा। शिक्षक भर्ती में आरक्षण घोटाले के मुद्दे पर मायावती ने कहा कि शिक्षक भर्ती में अभ्यर्थी जो घोटाले का आरोप लगा रहे हैं यह बहुत बड़ा मामला है इसकी जांच होनी चाहिए तथा उनकी शिकायतों को स्टेट गवर्नमेंट को दूर करना चाहिए ।

मायावती की प्रेस कॉन्फ्रेंस में और क्या-क्या कहा

बसपा के यूपी के सभी 75 जिलों के जिलाध्यक्षों की महत्वपूर्ण बैठक है और सभी सीटों के लिए पार्टी की तैयारियों को लेकर गहन समीक्षा की जाएगी। 21 अक्टूबर से शुरू हुई सभी विधानसभा सीटों के पदाधिकारियों की तैयारियों के संबंध में रिपोर्ट ली जाएगी. सभी सीटों पर रिपोर्ट के आधार पर कमियों को दुरुस्त किया जाएगा। विधानसभा की सभी सीटों पर विस्तार से रिपोर्ट ली जाएगी।

बीजेपी और बीएसपी का अजब संयोग
मायावती यूपी में 4 बार मुख्यमंत्री रहीं और इनमें से 3 बार बीजेपी के समर्थन से ये मुमकिन हुआ। दिलचस्प बात यह है कि मायावती जिस बीजेपी के समर्थन से सत्ता में रहीं, उसी को सबसे ज्यादा नुकसान भी पहुंचाया। 1999 में केंद्र की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार गिराने में बीएसपी की बड़ी भूमिका रही। बीएसपी ने बीजेपी को अपने 5 सांसदों के समर्थन का भरोसा दिया था लेकिन विश्वास मत के दौरान ऐन वक्त पर मायावती ने ऐलान किया कि उनकी पार्टी विरोध में वोट देगी। नतीजा यह हुआ कि वाजपेयी सरकार महज एक वोट से विश्वास मत हार गई। संयोग ही है कि बीएसपी जैसे-जैसे यूपी में मजबूत हुई, बीजेपी कमजोर होती गई। 2007 में जब बीएसपी पहली बार पूर्व बहुमत के साथ यूपी की सत्ता में आई तब बीजेपी 51 सीटों पर सिमट गई। 2012 में वह और कमजोर हुई और महज 47 सीट ही जीत पाई। लेकिन 2017 में जब बीजेपी 312 सीटों के साथ एकतरफा जीत हासिल की तब बीएसपी 19 सीट पर सिमट गई। ऐसा लग रहा है जैसे वक्त का पहिया 180 डिग्री घूम गया हो। कभी यूपी में बीजेपी को 'कंगाल' करने वाली बीएसपी भगवा पार्टी के फिर मजबूत होने के साथ ही सूबे की सियासत में हाशिए पर पहुंच गई है।

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