मथुरा जवाहरबाग कांड के 6 साल हुए पूरे, आज भी उस घटना को याद कर सिहर उठते हैं लोग

कलेक्ट्रेट के बराबर उद्यान विभाग की भूमि जवाहर बाग पर 15 मार्च 2014 को कुछ लोग सिर्फ दो दिन के सत्याग्रह के नाम पर ही आए थे। इन लोगों की मांग नागरिकता और संविधान बदलने की थी। इसी के साथ वह एक रुपए में 60 लीटर डीजल, पेट्रोल की मांग कर रहे थे।
 

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पर्यावरण प्रेमियो के जहन में 270 एकड़ में फैला मथुरा का जवाहर बाग का एक अलग ही स्थान रखता है। हालांकि 2 जून 2016 को यहां कुछ ऐसा हुआ जिसे आज भी याद कर के मथुरावासी और पूरे प्रदेश के लोग सिहर उठते हैं। मथुरा में कलेक्ट्रेट के पास उद्यान विभाग की जमीन जवाहर बाग पर 2014 में आए कुछ कथित सत्याग्रहियों ने अपनी मांगों को लेकर आंदोलन शुरू कर दिया। जैसे-जैसे आंदोलन के दिन बढ़ते गए वैसे-वैसै आंदोलनकारी और भी मजबूत होते चले गए। इस बीच पुलिस और प्रशासन ने जब उन पर शिकंजा कसना शुरू किया तो कथित सत्याग्रह के नाम पर कब्जा कर बैठे लोग और भी हमलावर हो गए। यह पूरा मामला हाईकोर्ट पहुंचा तो कोर्ट ने जगह को खाली करने का आदेश 26 मई 2016 को दे दिया। 

कोर्ट के आदेश के बाद पुलिस ने इस जगह को खाली करने के लिए रणनीति बनाई। फिर 2 जून 2016 को मथुरा के तत्कालीन एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी फोर्स के साथ जवाहरबाग में स्थिति का जायजा लेने के लिए पहुंचे। इस बीच कथित सत्याग्रहियों ने फोर्स पर हमला कर दिया। हमले में एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और एसओ संतोष यादव गोली लगने से शहीद हो गए। इसके बाद पुलिस और सत्याग्रहियों में फायरिंग शुरू हो गई। यहां तक सत्याग्रहियों ने कई जगहों पर आग भी लगा दी। हिंसक झड़प में दो पुलिस अधिकारियों की भी मौत हो गई और 40 पुलिसकर्मी घायल हो गए। इसी के साथ जवाबी कार्रवाई में 27 कथित सत्याग्रही भी मारे गए। 

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