विजय दिवस: जब आंखों में आंसू लिए पाकिस्तान ने टेके थे हिंदुस्तान के सामने घुटने, दुनिया ने देखी भारत की ताकत

वीडियो डेस्क। 16 दिसंबर (Vijay Diwas 2020 News) का दिन भारतीय सेना के अदम्य साहस, वीरता की कहानी है। आज ही के दिन 50 साल पहले सन 1971 में भारतीय सेना ने पाकिस्तान की सेना को धूल चटा दी थी और तब हुआ था एक नए मुक्ल का जन्म जो बना बांग्लादेश। आपको बता दें कि 1971 से पहले बाग्लादेश पाकिस्तान का हिस्सा था जिसे पूर्वी पाकिस्तान कहा जाता था। 

Asianet News Hindi | Updated : Dec 16 2020, 12:57 PM
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वीडियो डेस्क। 16 दिसंबर (Vijay Diwas 2020 News) का दिन भारतीय सेना के अदम्य साहस, वीरता की कहानी है। आज ही के दिन 50 साल पहले सन 1971 में भारतीय सेना ने पाकिस्तान की सेना को धूल चटा दी थी और तब हुआ था एक नए मुक्ल का जन्म जो बना बांग्लादेश। आपको बता दें कि 1971 से पहले बाग्लादेश पाकिस्तान का हिस्सा था जिसे पूर्वी पाकिस्तान कहा जाता था। लेकिन पाकिस्तान की सेना के अत्याचार के विरोध में 'पूर्वी पाकिस्तान' के लोग सड़कों पर उतर आए थे। लोगों के साथ मारपीट, शोषण, महिलाओं के साथ बलात्कार और खून-खराबा लगातार बढ़ रहा था। इस जुल्म के खिलाफ भारत बांग्लादेशियों के बचाव में उतर आया। तब प्रधानमंमत्री इंदिरा गांधी ने 31 मार्च 1971 को बांग्लादेश की मदद का ऐलान किया। और बांग्लादेश में मुक्ति वाहिना का गठन किया गया। जिसमें शामिल हुए पूर्वी पाकिस्तान की सेना और वहां के नागिरक। भारतीय सेना ने सड़कों पर बांग्लादेश के नागरिकों के प्रशिक्षण देना आरंभ किया। 3 दिंसबर को पाकिस्तान ने भारत के 11 एयरफील्ड्स पर हमला किया। युद्ध शुरू हुआ और सिर्फ 13 दिनों में भारतीय सेना ने पाकिस्तान के छक्के छुड़ा दिया। मेजर जनरल जेएफआर जैकब ने ढाका जाकर पाकिस्तानी जनरल नियाजी से बात कर उसे सरेंडर करने को कहा था। नियाजी ने पहले अकड़ दिखाने की कोशिश की पर जब जैकब ने कहा कि बहुत अच्छा प्रस्ताव है सरेंडर कर दीजिए, वरना आगे की जिम्मेदारी हमारी नहीं होगी।जैकब ने बताया था कि उन्होंने पाकिस्तानी नजरल नियाजी से तलवार सौंपने को कहा था। तब नियाजी ने कहा था कि उसके पास तलवार नहीं है। तब जैकब ने उसे पिस्टल देने को कहा। जब नियाजी लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह आरोड़ा को अपनी पिस्टल दे रहा था तो उसकी आंखों में आंसू थे।17 दिसंबर को पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों को बंदी बना लिया गया था। इस युद्धे में भारत के करीब चार हजार सैनिक शहीद हुए थे। 
 

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