'सिर्फ एक समय पूड़ी का पैकेट देकर चले जाते हैं जो गर्मी से सुखी होती है'...कैसे खाऊं
वीडियो डेस्क। कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन की घोषण की। लोगों को घरों के अंदर रहने के लिए कहा गया है। कोरोना वायरस के प्रकोप को देखते शहर
वीडियो डेस्क। कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन की घोषण की। लोगों को घरों के अंदर रहने के लिए कहा गया है। कोरोना वायरस के प्रकोप को देखते शहर में मजदूरों के सम्मुख रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है। कई दिन से मजदूरों को काम नहीं मिल पाया है। दिहाड़ी मजदूरी करने वालों के पास कोई विकल्प नहीं हैं।
लॉकडाउन से पूर्व मजदूरी के लिए नीमच आए करीब मजदूर अब खाने को लाचार मजबूर दिखाई दे रहा है। दरअसल भीलवाड़ा जिले के मजदूर महिला पुरुष मजदूरी करने के लिए नीमच आए थे। मगर लॉकडाउन के चलते यहीं पर फंस कर रह गए। नीमच शहर से लगे बरुखेडा रोड के समीप यह लोग डेरा डाले हुए हैं। यहां पर बनी टूटी फूटी झोपड़ी मैं रह रहे हैं।
इन लोगों का कहना है जब 21 दिन का लॉक डाउन किया गया था तब तो जैसे तैसे करके जो मजदूरी के पैसे मिले हुए थे उनसे गुर्जर बसेरा हो गया। लेकिन फिर से 19 दिन के लॉकडाउन के चलते अब यह बुरी तरह फस गए हैं। आलम यह है अब यह खाली जेब हो गए हैं। खाने-पीने को मोहताज और बेबस दिखाई दे रहे है। इन लोगों का आरोप है की प्रशासन द्वारा इनकी कोई मदद नहीं की जा रही है। सिर्फ महज एक समय पूड़ी का पैकेट देकर चले जाते हैं जो गर्मी में सूखी हुई सुखी होती है।
इसके अलावा प्रशासन द्वारा इनकी कोई मदद नहीं की जा रही है। मजबूरन इन लोगों को पानी पीकर काम चलाना पड़ रहा है। यह लोग तो पानी पीकर काम चला लेते हैं लेकिन इनके बेटे बेटी कैसे भूखे सोए इसके लिए यह लोग गेहूं के खेत तो के आसपास भटकते हैं और वहां से गेहूं की फसल के टूटे डंकल बिन लाते हैं और उसे कूटकर उसकी रोटी बनाकर बच्चों को खिलाते हैं।