India@75: अगस्त क्रांति की रानी अरुणा आसफ अली, जिन्होंने आजादी की लड़ाई में अंग्रेजों को दी चुनौती

9 अगस्त 1942 भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक अविस्मरणीय दिन है। मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की अध्यक्षता में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन बॉम्बे के गोवालिया टैंक मैदान में हुआ। इस सम्मेलन ने भारत छोड़ो संघर्ष शुरू करने का एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया।
 

Rakhi Singhal | Updated : Jul 07 2022, 11:36 AM
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अंग्रेजों की जंजीरों जकड़े भारत को आजाद कराने की लड़ाई में कई वीरों ने अपना योगदान दिया। 9 अगस्त, 1942 को अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के बंबई सत्र के दौरान अंग्रेजों को भारत से बाहर करने का संकल्प लिया गया। महात्मा गांधी ने लोगों को एक स्पष्ट संदेश दिया जिसमें कहा करो या मरो लेकिन तब तक आराम मत करो जब तक अंग्रेज भारत नहीं छोड़ देते। गांधी के भाषण के बाद, एक 33 वर्षीय महिला ने भारतीय तिरंगा फहराया, जिस पर तब प्रतिबंध लगा दिया गया था। वीर महिला थी अरुणा आसफ अली। उन्हें अगस्त क्रांति की रानी कहा जाने लगा। जानें अरुणा आसिफ अली के बारे में 
 

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