कौन होते हैं अटॉर्नी जनरल, कैसे होती है इनकी नियुक्ति ?

भारत का महान्यायवादी न तो संसद का सदस्य होता है और न ही मंत्रिमंडल का सदस्य होता है. लेकिन वह किसी भी सदन में अथवा उनकी समितियों में बोल सकता है, किन्तु उससे मत देने का अधिकार नहीं है। अनुच्छेद 76 के अनुसार महान्यायवादी सर्वप्रथम भारत सरकार का विधि अधिकारी होता है। भारत का महान्यायवादी न तो संसद का सदस्य होता है और न ही मंत्रिमंडल का सदस्य होता है लेकिन वह किसी भी सदन में अथवा उनकी समितियों में बोल सकता है, किन्तु उससे मत देने का अधिकार नहीं है। 

| Updated : Jun 06 2020, 02:38 PM
Share this Video
  • FB
  • TW
  • Linkdin
  • Email

वीडियो डेस्क। भारत का महान्यायवादी न तो संसद का सदस्य होता है और न ही मंत्रिमंडल का सदस्य होता है. लेकिन वह किसी भी सदन में अथवा उनकी समितियों में बोल सकता है, किन्तु उससे मत देने का अधिकार नहीं है। अनुच्छेद 76 के अनुसार महान्यायवादी सर्वप्रथम भारत सरकार का विधि अधिकारी होता है। भारत का महान्यायवादी न तो संसद का सदस्य होता है और न ही मंत्रिमंडल का सदस्य होता है लेकिन वह किसी भी सदन में अथवा उनकी समितियों में बोल सकता है, किन्तु उससे मत देने का अधिकार नहीं है। 

Related Video