आखिर क्यों नहीं लगाई जाती भगवान शिव की परिक्रमा, जानें प्रदोष व्रत से जुड़ी बातें

हर महीने के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत किया जाता है। ये व्रत अलग-अलग वारों के साथ मिलकर विभिन्न योग बनाता है। इस बार 22 जनवरी को प्रदोष तिथि होने से बुध प्रदोष का योग बन रहा है। इस दिन भगवान शिव की पूजा विशेष रूप से की जाती है। शिवलिंग की पूजा से जुड़े बहुत से नियम धर्म ग्रंथों में बताए गए हैं। आज हम आपको कुछ ऐसे ही नियमों के बारे में बता रहे हैं।
 

| Updated : Jan 21 2020, 07:37 PM
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वीडियो डेस्क। हर महीने के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत किया जाता है। ये व्रत अलग-अलग वारों के साथ मिलकर विभिन्न योग बनाता है। इस बार 22 जनवरी को प्रदोष तिथि होने से बुध प्रदोष का योग बन रहा है। इस दिन भगवान शिव की पूजा विशेष रूप से की जाती है। शिवलिंग की पूजा से जुड़े बहुत से नियम धर्म ग्रंथों में बताए गए हैं। आज हम आपको कुछ ऐसे ही नियमों के बारे में बता रहे हैं।
1. शिवलिंग की पूजा कभी जलधारी के सामने से नहीं करनी चाहिए।
2. शिवलिंग की पूरी परिक्रमा नहीं करें, क्योंकि जलाधारी को लांघा नहीं जाता।
3. शिवलिंग पर हल्दी या मेहंदी न चढ़ाएं, क्योंकि यह देवी पूजन की सामग्री है।
4. शिवलिंग पर कभी भी शंख से जल नहीं चढ़ाना चाहिए।
5. शिवलिंग पर कभी तांबे के बर्तन से दूध नहीं चढ़ाना चाहिए।
6. शिवलिंग की पूजा करते समय मुंह दक्षिण दिशा में नहीं होना चाहिए।
7. पूजा करते समय शिवलिंग के ऊपरी हिस्से को स्पर्श नहीं करना चाहिए।
 

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