सार
Uttar Pradesh elections 2027: मायावती ने अंबेडकर जयंती पर दलितों को एकजुट होने का आह्वान किया। उन्होंने 2027 के चुनावों के लिए बहुजन एकता का नारा दिया और सत्ता में भागीदारी पर जोर दिया।
Ambedkar Jayanti celebration in UP: राजनीति में जब सबकी निगाहें 2027 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों पर टिकी हैं, उस समय बहुजन समाज पार्टी (BSP) सुप्रीमो मायावती ने डॉ. भीमराव अंबेडकर की 134वीं जयंती के अवसर पर सत्ता के लिए बहुजन एकता का शंखनाद कर दिया है। लखनऊ में बाबा साहेब को पुष्पांजलि अर्पित करते हुए उन्होंने दलित, पिछड़े, आदिवासी और अन्य वंचित समाज के लोगों से आह्वान किया कि वे BSP से जुड़कर "अंबेडकरवादी सोच" को अपनाएं और सत्ता की चाबी अपने हाथ में लें।
"हमारी एकता ही हमारी ताकत है" — मायावती का बड़ा संदेश
मायावती ने कहा,"अब देश के बहुजन समाज को अपने वोट की ताकत को समझना होगा। सिर्फ वोट देकर नहीं, सत्ता में भागीदारी करके ही हम बाबा साहेब के सपनों का समाज बना सकते हैं। यही उनकी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।" उन्होंने बीजेपी और कांग्रेस दोनों पर निशाना साधते हुए कहा कि इन दलों ने सिर्फ वादे किए, लेकिन बहुजन समाज की स्थिति आज भी बदहाल है। उन्होंने चेतावनी दी कि आरक्षण जैसे संवैधानिक अधिकारों पर हमला हो रहा है और बहुजन समाज को अब जागना होगा।
संविधानवाद की बात, सरकारों से अपील
मायावती ने जातिवाद और वोट बैंक की राजनीति को त्यागने का संदेश देते हुए कहा:"जब तक सत्ता में बैठे लोग संविधानवादी सोच नहीं अपनाएंगे, तब तक 'विकसित भारत' और 'मेरा भारत महान' सिर्फ एक नारा ही रहेगा।" BSP के निर्देश पर पूरे उत्तर प्रदेश और देश के अन्य हिस्सों में ज़िला स्तर पर डॉ. अंबेडकर को श्रद्धांजलि देने के लिए कार्यक्रम आयोजित किए गए। लखनऊ मंडल में कार्यकर्ता अंबेडकर स्मारक पहुंचे, जबकि पश्चिमी यूपी और दिल्ली-एनसीआर के कार्यकर्ता नोएडा स्थित राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल में जुटे। इस बार BSP ने युवाओं पर खास फोकस रखा। कार्यकर्ताओं को निर्देश दिए गए कि वे अपने परिवार और युवा पीढ़ी को साथ लेकर कार्यक्रमों में भाग लें और बाबा साहेब के विचारों को पोस्टर, होर्डिंग और भाषणों के ज़रिए जन-जन तक पहुँचाएं।
अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर चिंता
मायावती ने देश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर भी चिंता जताई और कहा कि जो पार्टियां कॉरपोरेट समर्थक और बहुजन विरोधी हैं, उनसे सावधान रहने की ज़रूरत है.विशेषज्ञों की मानें तो बाबा साहेब की जयंती पर मायावती का यह प्रहार 2027 के चुनावी समर के लिए रणनीतिक शुरुआत है। BSP अब खुद को एक बार फिर से बहुजन एकता और अंबेडकरवादी विचारधारा की धुरी के रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश कर रही है।
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