पालघर. मां की जान हमेशा अपने बच्चों में बसती है। बच्चे को खरोंच भी आए तो मां का दिल चीख उठता है लेकिन क्या बच्चे मां के लिए जान न्यौछावर कर सकते हैं। अगर ऐसा होता तो क्यों एक बेटा जन्म देने वाली मां की जान ले लेता। ऐसा ही एक मामला सामने आया है जब ममतामयी मां के लिए एक बेटे को उसकी सेवा करना फालतू काम लग रहा था। अपनी बीमार मां की सेवा करने से वो कतराने लगा था। मां बोझ बन चुकी थी तो उसे मुक्ति दिलाने के लिए बेटा वहशी बन गया।