विभाकर नारायण और उनकी पत्नी रश्मि ने दिल पर पत्थर रखकर कहा कि सचमुच अपनों को खोने के बाद उसकी आंखें डोनेट करना बहुत ही मुश्किल था। लेकिन हमने ऐसे कई लोगों को देखा है, जो बचपन से देख नहीं सकते हैं, उनको अपने जीवन में बहुत परेशानी होती है। इसलिए हमने सोचा कि क्यों ना हमारे बच्चे की आंखें अगर किसी को मिल जाएं तो उसकी जिंदगी सवर जाएगी।