सार
गुजरात के सूरत की रहने वाली 27 वर्षीय त्रिशा पटेल को बचपन से ही जानवरों से बहुत प्यार था। लेकिन, किसी ने नहीं सोचा था कि यह प्यार इतना बढ़ जाएगा कि एक दिन वह अपना करियर छोड़कर उनके लिए जीने को तैयार हो जाएगी। त्रिशा एमबीबीएस की छात्रा थीं। पढ़ाई के दौरान ही उन्हें सड़कों पर घायल और असहाय जानवर दिखाई देने लगे, जिससे उन्हें बहुत दुःख और सहानुभूति होने लगी। यही उनके जीवन का एक नया मोड़ बन गया।
इस तरह उन्होंने एमबीबीएस की पढ़ाई छोड़कर वेटरनरी साइंस पढ़ने का फैसला किया। उन्होंने इंसानों का दर्द नहीं, बल्कि उन बेज़ुबान जानवरों का दर्द दूर करने का फैसला किया, जो अपनी पीड़ा भी बयां नहीं कर सकते। इस तरह उन्होंने वेटरनरी साइंस पढ़ने का फैसला किया और फिर जानवरों की देखभाल करने लगीं।
त्रिशा ने सूरत के उत्तरी चौकडी इलाके में एक जगह किराए पर ली। वहाँ उन्होंने एक पशु देखभाल केंद्र भी स्थापित किया। इसमें उन्होंने लकवाग्रस्त कुत्तों की देखभाल पर विशेष ध्यान केंद्रित किया। आज, वह 150 से अधिक जानवरों की देखभाल करती हैं, जिनमें 35 कुत्ते और 40 बिल्लियाँ शामिल हैं। इनमें से कई जानवरों को किसी न किसी की मदद की सख्त जरूरत है।
इसके लिए त्रिशा खुद पैसे का इंतजाम करती हैं। उन्होंने न केवल अपनी पढ़ाई छोड़ दी, बल्कि अपनी सारी कमाई इस काम के लिए लगा दी। जरूरत पड़ने पर वह दूसरों से पैसे भी उधार लेती हैं। पिछले पाँच वर्षों में, उन्होंने 350 से अधिक जानवरों को नया जीवनदान दिया है। परिवार और दोस्तों ने उनके फैसले पर सवाल उठाए, लेकिन त्रिशा अपने मन की सुनकर आगे बढ़ रही हैं।