धर्म ग्रंथों के अनुसार, मनुष्य का शरीर पंच तत्वों (वायु, अग्नि, पृथ्वी, जल और आकाश) से बना है। इन सभी में जल को सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना गया है क्योंकि जल के बिना जीवन संभव ही नहीं है।
धर्म ग्रंथों में शुक्राचार्य को दैत्यों को गुरु बताया गया है। शुक्राचार्य ने अपनी नीतियों में कई बातें बहुत काम की बताई हैं। अक्सर इंसान का जीवन उन चीजों को काबू करने में लग जाता है जिन पर किसी का भी कोई नियंत्रण नहीं हो सकता।
वीडियो डेस्क। हस्तरेखा ज्योतिष के अनुसार, हथेली की बनावट, रेखाएं और उनसे बनने वाले कुछ निशान यानी छोटी-छोटी रेखाओं से बनने वाली आकृतियां भी भविष्य में होने वाले बदलाव की ओर इशारा करती हैं। इन रेखाओं और खास निशान को देखकर पता किया जा सकता है कि भविष्य में आपकी आर्थिक स्थिति कैसी रहेगी।
वीडियो डेस्क। इस बार 21 फरवरी, शुक्रवार को महाशिवरात्रि है। इस दिन भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि, विष, सर्प, शश आदि कई विशेष योग बन रहे हैं। इन शुभ योगों में कुछ खास उपाय कर लिए जाएं तो शिवजी की कृपा मिल सकती है।
बेडरूम या पलंग के वास्तु विपरीत होने के कारण इसका असर हमारी लव लाइफ पर भी पड़ सकता है।
महाभारत के अनुसार पांडवों और कौरवों के गुरु द्रोणाचार्य का पुत्र अश्वत्थामा काल, क्रोध, यम व भगवान शंकर के सम्मिलित अंशावतार थे।
वीडियो डेस्क। हमारे यहां पुरातन समय से ही घर में जानवर पाले जाते हैं। पहले के समय में गाय, भैंस आदि पाले जाते थे, जिनका व्यवसायिक उपयोग भी होता है। वर्तमान समय में कुत्ते, बिल्ली व मछली आदि शौकिया तौर पर पाले जाते हैं। अगर घर के पालतू जानवरों की मौत अचानक हो जाए तो ये किसी अशुभ ग्रह के कारण हो सकता है या निकट भविष्य में आने वाले अशुभ घटना का संकेत हो सकता है। आज हम आपको उसी के बारे में बता रहे हैं-
वीडियो डेस्क। 13 फरवरी, गुरुवार की शाम करीब 7 बजे सूर्य मकर राशि से कुंभ राशि में प्रवेश करेगा। ये ग्रह 14 मार्च तक कुंभ राशि में ही रहेगा। कुंभ शनि के स्वामित्व वाली राशि है। सूर्य के राशि बदलने का असर सभी राशियों पर दिखाई देगा। जानिए राशिफल-
मान्यता है कि धन संबंधी परेशानियों को दूर करने के लिए देवी लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। महालक्ष्मी की पूजा से कुंडली के कई ग्रह दोष भी दूर हो सकते हैं।
आचार्य चाणक्य का भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान है। चाणक्य काल में भारत खंड-खंड में बंटा हुआ था। चाणक्य ने भारत को फिर से संगठित किया और चंद्रगुप्त मौर्य को सम्राट बनाया।