India Role in G7 Summit: कनाडा में हो रहे G7 समिट 2025 में भारत को गेस्ट के तौर पर बुलाया गया है। इससे पता चलता है कि भारत का रोल दुनिया में कितना अहम होता जा रहा है। दुनिया का उसके प्रति भरोसा बढ़ रहा है।

G7 Summit 2025 Canada : कनाडा में दुनिया की सबसे अमीर और ताकतवर 7 देशों की महाबैठक हो रही है यानी G7 समिट। इस समिट में आमतौर पर सिर्फ वही देश हिस्सा लेते हैं जो G7 क्लब के फुल टाइम मेंबर हैं। लेकिन इस बार भी भारत को फिर से बुलाया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) इस समिट में शामिल हो रहे हैं, जबकि भारत इस क्लब का हिस्सा नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है कि जब हम G7 में मेंबर ही नहीं हैं, तो फिर बार-बार हमें क्यों बुलाया जाता है? क्या ये भारत की बढ़ती ताकत का संकेत है या G7 देशों की रणनीति का हिस्सा? ये कोई पहला मौका नहीं है। भारत 2003 से लगातार इन समिट्स का हिस्सा बनता आ रहा है। तो आइए, एकदम आसान तरीके से समझते हैं G7 क्या है, भारत इसका मेंबर क्यों नहीं है और फिर भी क्यों बार-बार बुलाया जाता है?

G7 क्या है और इसमें कौन-कौन हैं?

G7 यानी ग्रुप ऑफ सेवन (Group of Seven) है। दुनिया के 7 सबसे पावरफुल और विकसित देशों का खास क्लब है। अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली, कनाडा और जापान इस ग्रुप के ऑफिशियल मेंबर्स हैं। G7 की शुरुआत 1970 के दशक में सिर्फ आर्थिक मुद्दों पर बातचीत के लिए हुई थी, लेकिन अब ये जलवायु परिवर्तन (Climate Change), आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), सिक्योरिटी और डेवलपमेंट जैसे बड़े-बड़े मुद्दों पर भी चर्चा करता है।

भारत मेंबर नहीं, फिर क्यों बुलाया जाता है?

इंडिया G7 का मेंबर देश नहीं है, लेकिन उसे लगातार आउटरीच पार्टनर यानी 'स्पेशल गेस्ट' के तौर पर बुलाया जाता है। इस बार कनाडा की पीएम मार्क कार्नी ने प्रधानमंत्री मोदी को इनवाइट किया है। ये पहली बार नहीं है, भारत को 2003 में पहली बार G7 में बुलाया गया था, तब अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री थे। उसके बाद मनमोहन सिंह और अब पीएम मोदी जी भी कई बार शामिल हो चुके हैं।

भारत में कब कौन से प्रधानमंत्री G7 में शामिल हुए

  • 2003 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को इन्वाइट किया गया।
  • 2005-09 तक तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह लगातार G7 में गए।
  • 2019 से पीएम मोदी हर समिट में या तो वर्चुअल या फिजिकल मौजूद रहे।
  • इस साल भी पीएम मोदी कनाडा में G7 समिट में हिस्सा ले रहे हैं।

भारत-चीन टॉप 4 इकोनॉमी फिर G7 में क्यों नहीं?

1. जब G7 बना, तब भारत-चीन की स्थिति

1970s में जब G7 बना, तब भारत और चीन दोनों गरीबी से जूझ रहे विकासशील देश थे। G7 एक 'Developed Nations Only' क्लब था, इसलिए भारत और चीन को मेंबर नहीं बनाया गया।

2. Per Capita Income इनकम कम है

भारत और चीन की टोटल GDP तो बहुत बड़ी है, लेकिन हर नागरिक की औसत कमाई यानी प्रति व्यक्ति आय (Per Capita Income) अभी भी G7 देशों से काफी पीछे है।

3. G7 में नए मेंबर नहीं जोड़े जाते

G7 आज भी एक बंद क्लब है। इसमें कोई 'नया मेंबरशिप सिस्टम' नहीं है। मतलब कोई देश बड़ा हो जाए, ताकतवर हो जाए, फिर भी इस क्लब में सीधे एंट्री नहीं मिलती।

भारत के लिए G7 की अहमियत क्या है?

भारत भले G7 का सदस्य न हो, लेकिन हर बार इनविटेशन मिलना दिखाता है कि दुनिया में भारत की साख और भरोसा दोनों बढ़ा है। आज दुनिया भारत की ताकत को नजरअंदाज़ नहीं कर सकती। ये मंच भारत के लिए एक मौका है कि वह ग्लोबल पॉलिसी बनाने वाली टेबल पर मौजूद रहे।