Relationship Guide: आजकल के डेटिंग दौर में, सिचुएशनशिप बढ़ गए हैं,दोस्ती और कमिटमेंट के बीच की रेखा धुंधली हो गई है। यह गाइड सिचुएशनशिप के 5 प्रमुख पहलुओं की पड़ताल करता है और यह देखता है कि क्या उनमें सार्थक रिश्तों में विकसित होने की क्षमता है। 

Situationship: आजकल डेटिंग में कैजुअल और सीरियस के बीच की सीमा कभी-कभी धुंधली होती है,जिससे सिचुएशनशिप को बढ़ावा मिलता है। सिचुएशनशिप एक ऐसा रोमांटिक रिश्ता होता है जिसमें कोई परिभाषा, अपेक्षाएं और कमिटमेंट नहीं होती है।यह दोस्ती से कुछ ज्यादा लेकिन रिश्ते (रिलेशनशिप) से कम हो सकता है। जहां कुछ लोग इस कंडिशन में खुशी से रह सकते हैं, वहीं कुछ लोग इमोशनल रूप से थके हुए महसूस करते हैं।  क्या सिचुएशनशिप के लिए कुछ और बनना संभव है? आइए 5 सबसे अहम बातों पर नजर डालते हैं।

सिचुएशनशिप के 5 अहम बातें

1. नाम का अभाव

सिचुएशनशिप के मूल में यही बात है कि इसमें कोई शर्तें नहीं होतीं। "बॉयफ्रेंड" या "पार्टनर" जैसे टाइटल वाले नियमित रिश्तों के विपरीत, जो बॉर्डर तय करते हैं सिचुएशनशिप आजादी बनाए रखने के लिए लेबल से बचते हैं। यह स्टाटिंग में तो ठीक हो सकता है। लेकिन बाद में जब कोई ज्यादा चाहनेलगता है तो फिर भ्रम की स्थिति बनने लगती है।

हकीकत: अगर दोनों पक्ष इस अनिश्चितता से खुश हैं, तो यह काम कर सकता है। लेकिन आगे बढ़ने के लिए अक्सर आपसी क्लियरिटी और बातचीत की जरूरत होती है।

2. क्लियर कम्युनिकेशन का अभाव

ज्यादातर सिचुएशनशिप में भावनाओं और इरादों के बारे में खुली, ईमानदार बातचीत शामिल नहीं होती है। यह अनक्लियरिटी लोगों को कमजोर होने से बचा सकती है,लेकिन इमोशनल अंतरंगताको गहरा होने से रोकती है। सीरियस कम्युनिकेशन के बिना विश्वास बनाना या स्वस्थ तरीके से स्ट्रगल को सुलझाना मुश्किल है।

हकीकत: सिचुएशनशिप को कुछ मिनिगफुल में बदलने के लिए दोनों व्यक्तियों को बातचीत से आगे बढ़ना चाहिए। दोनों तरफ से कम्युनिकेशन होना चाहिए।

3. बेकार तरह से कोशिश

एक सामान्य सिचुएशनशिप में, प्रयास सही तरीके से नहीं होता है। प्लानिंग आखिरी मिनट में या बेतरतीब होती हैं, टेक्स्ट का जवाब घंटों (या दिनों) तक नहीं मिलता है, और इमोशनल सपोर्ट कम होता है। यह असंगति संबंध को अनौपचारिक बनाए रख सकती है लेकिन एक (या दोनों) इंसानों के लिए इमोशनल रूप से थका देने वाला होता है।

हकीकत: निरंतर प्रयास मजबूत रिश्तों का एक पिलर है। इसकी कमी इस बात का संकेत है कि कमिटमेंट नहीं होने वाली है।

4. फिजिकल इंटिमेसी बनाम इमोशनल इंटिमेसी

सिचुएशनशिप में फिजिकल इंटिमेसी की खासियत होती है, लेकिन इमोशन खुलापन गायब होता है। यह ठीक नहीं है और इससे भ्रम पैदा हो सकता हैखासकर जब एक पक्ष फिजिकल इंटिमेसी को कुछ और के संकेत के रूप में देखने लगता है।

हकीकत: शारीरिक निकटता अपने आप में भावनात्मक जुड़ाव के बराबर नहीं होती है। सिचुएशनशिप को आगे बढ़ाने के लिए, इमोशनल इंटिमेसी को भी उतनी ही प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

5. कमिटमेंट का डर

ज्यादातर सिचुएशनशिप कमिटमेंट  के डर के रिजल्ट होते हैं।डर समझ में आता है, लेकिन यह एक समस्या बन जाती है अगर यह किसी को वास्तव में जुड़ने या विकसित होने से रोकता है।

हकीकत: कमिटमेंट के डर को कम्युनिकेशन और संयुक्त प्रयास से दूर किया जा सकता है केवल अगर दोनों उन्हें दूर करने के लिए तैयार हों।

क्या सिचुएशनशिप कभी अहम बन सकते हैं?

हां, लेकिन दोनों को एक ही जगह पर होना चाहिए और जानबूझकर संबंध को मजबूत करने का फैसला करना चाहिए। सिचुएशनशिप से एक महत्वपूर्ण रिश्ते में बदलाव करने के लिए रिश्ते को परिभाषित करना, एक-दूसरे के साथ खुला रहना, लगातार साथ देना और इमोशनल रूप से कमजोर होना शामिल है।

नहीं, जब व्यक्ति को पूरा यकीन हो कि यह एक थोड़े समय की चीज है। आजकल की पीढ़ी यही पसंद कर रही है। इन पसंद के कई कारण हैं,वेस्टर्न कल्चर को अपनाने से लेकर कई कारणों से कमिटमेंट और रिश्तों से डरने तक। ये टूटे हुए घरों, जहरीली पालन-पोषण तरीकों से पैदा होता है।

अगर उनमें से एक और अधिक चाहता है और दूसरा किसी भी तरह के कमिटमेंट के खिलाफ होता है तो चीजों के बदलने का इंतजार करने के बजाय जाने देना शायद बेहतर है।लेकिन जब दोनों एक ही सोच रखते हैं, तो एक सिचुएशनशिप निश्चित रूप से एक कमिटमेंट वाले रिश्ते में बदल  सकता है।