अमेरिकन एकेडमी ऑफ एंटी-एजिंग मेडिसिन और भारत के स्मार्ट ग्रुप ने देश में पहले एंटी-एजिंग अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया। इसमें हेल्थ केयर और प्रिवेन्टिव मेडिसिन से जुड़े कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई।
वैवाहिक जीवन खुशहाल हो तो फैमिली में शांति बनी रहती है और सबों को आगे बढ़ने का मौका भी मिलता है। लेकिन अगर पति-पत्नी के बीच संबंध अच्छे नहीं रहे तो जिंदगी बेकार हो जाती है।
आज हमारी जिंदगी के हर हर हिस्से में सोशल मीडिया का दखल बढ़ता जा रहा है। प्यार के संबंधों में भी सोशल मीडिया ने अपनी घुसपैठ कर ली है। देखा गया है कि कई बार सोशल मीडिया की वजह से पार्टनर्स के बीच दूरियां आ जाती हैं।
अंजीर बहुत ही गुणकारी मेवा है। इसके इस्तेमाल से कई तरह के स्वास्थ्य फायदे होते हैं। अक्सर लोग सर्दियों में इसका इस्तेमाल करते हैं। इसे लिवर के लिए खास तौर पर फायदेमंद बताया गया है।
उल्टी या वोमिटिंग की समस्या कई वजहों से होती है। पेट खराब होने पर, गैस बनने पर और कई बार ज्यादा बुखार में भी उल्टियां होने लगती हैं। वहीं, ऐसे बहुत लोग खासकर औरतें काफी मिल जाएंगी, जिन्हें सफर के दौरान जी मिचलाने की समस्या होती है।
अक्सर यह माना जाता है कि पुरुष ही स्त्रियों का मानसिक शोषण करते हैं। लेकिन यह पूरी तरह सच नहीं है। आज ऐसे मामलों की कमी नहीं, जिनमें लड़कियों को अपने पार्टनर का मेंटल हैरेसमेंट करते हुए देखा गया है।
प्रोटीन हमारे शरीर के लिए बहुत ही जरूरी है। प्रोटीन की कमी की वजह से कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं। इसलिए हमें ऐसा भोजन करने को कहा जाता है, जिससे पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन मिल सके। लेकिन जरूरत से ज्यादा कोई भी चीज खराब असर डालती है।
कहा गया है कि प्यार के संबंध से बड़ा और दूसरा कोई संबंध नहीं। यह जीवन में बड़ी खुशियां लाता है और सच्चा प्यार पा कर इंसान जीवन में आगे बढ़ता है। लेकिन कभी-कभी जब संबंधों में किसी वजह से जहर घुलने लगता है तो ब्रेकअप करना लोगों की मजबूरी हो जाती है।
सर्दियों के मौसम में कई तरह की बीमारियां होती हैं। इस मौसम में ज्यादातर सर्दी, खांसी और बुखार जैसी समस्या होती है, जिसके पीछे मुख्य कारण कोई न कोई एलर्जी और इन्फेक्शन होता है।
अक्सर यह देखा गया है कि पार्टनर्स की जब आपस में लड़ाई होती है या वे एक-दूसरे से नाराज होते हैं, तो सबसे पहले उन्हें फोन, वॉट्सऐप और दूसरे सोशल मीडिया मेसेंजर्स पर ब्लॉक कर देते हैं। मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि संवेदनशील लोगों के मन पर इसका बहुत बुरा असर पड़ता है।