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बढ़ रही है इन्फर्टिलिटी की समस्या, ये 5 घरेलू उपाय हो सकते हैं कारगर
बढ़ रही है इन्फर्टिलिटी की समस्या, ये 5 घरेलू उपाय हो सकते हैं कारगर

एक सर्वे के मुताबिक, देश के 10 से लेकर 15 प्रतिशत तक शादीशुदा जोड़े इन्फर्टिलिटी या बांझपन के शिकार हैं। इनकी संख्या करीब 2 करोड़ 30 लाख से भी ज्यादा है।

इस मौसम में सर्दी-जुकाम और बुखार हो तो करें ये 5 उपाय
इस मौसम में सर्दी-जुकाम और बुखार हो तो करें ये 5 उपाय

अब सर्दी का मौसम शुरू हो रहा है। इस मौसम में दिन में तो गर्मी रहती है, पर रात में ठंड बढ़ जाती है। ऐसे में, सर्दी-जुकाम और बुखार होने की संभावना बनी रहती है। 

पुरुषों को भी हो रही ब्रेस्ट कैंसर की बीमारी, रहें अलर्ट
पुरुषों को भी हो रही ब्रेस्ट कैंसर की बीमारी, रहें अलर्ट

आम तौर पर ब्रेस्ट कैंसर की बीमारी महिलाओं को ही होती है, पर पुरुषों को भी यह बीमारी हो सकती है। बहुत लोगों का मानना है कि पुरुषों को यह बीमारी नहीं हो सकती है, लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि पुरुषों की छाती के डक्ट्स और ग्लैंड्स में कैंसर के सेल बढ़ सकते हैं। औरतों में स्तन कैंसर की शुरुआत उन डक्ट्स में होती है, जो निप्पल्स तक दूध ले जाते हैं। बहरहाल, पुरुषों में स्तन कैंसर के मामले झारखंड में सामने आए हैं।

लंबे समय तक ली एसिडिटी की दवा तो हो सकता है किडनी को नुकसान
लंबे समय तक ली एसिडिटी की दवा तो हो सकता है किडनी को नुकसान

एसिडिटी की समस्या से कमोबेश हर आदमी परेशान रहता है। इसे कोई गंभीर बीमारी नहीं माना जाता। एसिटिडी या गैस की समस्या होने पर कोई भी एंटासिड ले लेता है। एंटासिड को अब तक काफी सुरक्षित दवाई माना जाता था, लेकिन पता चला है कि लंबे समय तक इनके सेवन से किडनी को नुकसान पहुंचता है। 

यहां गंभीर बीमारी का म्यूजिक थेरेपी से होता है इलाज, बीमारी के हिसाब से तैयार होता है संगीत
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यहां गंभीर बीमारी का म्यूजिक थेरेपी से होता है इलाज, बीमारी के हिसाब से तैयार होता है संगीत

वीडियो डेस्क। दुनिया की हर चीज में अपना एक संगीत या सुर होता है। जो हमारे मन और तन पर असर डालता है। यही नही, इसके जरिए कई गंभीर बीमारियों को भी इस थेरेपी के जरिए ठीक किया जा सकता है। म्यूजिक थैरेपिस्ट दिलीप मणि के मुताबिक म्यूजिक कई 'असाध्य रोग' को दूर सकता है। पेशेंट के हिसाब से संगीत तैयार होता है।संगीत की अलग- अलग राग से बीमारी का इलाज किया जाता है।

मोटापे से हो सकती है कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी, जानें वजन कम करने के 5 उपाय
मोटापे से हो सकती है कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी, जानें वजन कम करने के 5 उपाय

आजकल ज्यादातर लोग मोटपा और बढ़ते वजन की समस्या से परेशान हैं। मोटापे के चलते डायबिटीज से लेकर हाई ब्लड प्रेशर और कई गंभीर बीमारियां होने खतरा बना रहता है। 

Research : तनाव और डिप्रेशन की एक बड़ी वजह बन रहा है पॉल्यूशन
Research : तनाव और डिप्रेशन की एक बड़ी वजह बन रहा है पॉल्यूशन

दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में पिछले कई दिनों से पॉल्यूशन काफी बढ़ गया है। पॉल्यूशन से जहां सांसों की बीमारी और दूसरी कई स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं, वहीं इससे तनाव और डिप्रेशन भी बढ़ता है। एक रिसर्च से इसका पता चला है। 

हेल्थ अलर्ट: जहरीली हवा से बढ़ रहे अस्थमा के मरीज, इस तरह से होता है इसका इलाज
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हेल्थ अलर्ट: जहरीली हवा से बढ़ रहे अस्थमा के मरीज, इस तरह से होता है इसका इलाज

वीडियो डेस्क: दिल्ली की जहरीली हवा का खतरा अभी भी बना हुआ है। क्योंकि धूल और धुंए का गुबार कम नहीं हुआ है। इधर मौसमी बदलाव की वजह से हल्के कोहरे की शुरुआत हो चुकी है। इसलिए फिलहाल स्मॉग का खतरा बना रहेगा। क्योंकि यह और बने रहने की संभावना है। इसलिए सुबह-शाम घर से बाहर निकलने से बचें। 

अगर शाकाहारी हैं जो हो जाएं सतर्क, खतरनाक हो सकता है इन फल और सब्जियों का सेवन
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अगर शाकाहारी हैं जो हो जाएं सतर्क, खतरनाक हो सकता है इन फल और सब्जियों का सेवन

बेहतर स्वास्थ्य के लिए अब दुनिया भर के लोग शाकाहार को अपना रहे हैं। हालांकि सिर्फ शाकाहारी होने से आप अच्छी हेल्थ नहीं पा सकते हैं क्योंकि हरी सब्जियां और सिर्फ वेज डाइट में वह जरूरी पोषक तत्व कई बार नहीं पाए जाते हैं। हाल में एक नई रिसर्च में पाया गया है कि सभी फल-सब्जियां और शाकाहार कुपोषण और संतुलित डाइट न ले पा रहे लोगों के लिए अच्छा नहीं है। ऐसे व्यक्ति का सिर्फ शाकाहार पर निर्भर रहना स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हो सकता है। इसके कई कारण है जैसे आपका शरीर कुपोषण का शिकार हो या उसे भरपूर संतुलित डाइट न मिल पाती हो। ऐसे में सिर्फ शाकाहारी होने से आप शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्वों की कमी रहेगी। रिसर्च में यह भी आगाह किया गया है कि अमीर देशों की जंगलों में बढ़ती घुसपैठ के कारण शाकाहारी होना जोखिम भरा है। खासतौर पर बदलती जलवायु के कारण फल-सब्जियां जहरीले हो सकते हैं। अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने कुछ पौधों का उल्लेख किया जो दुनिया भर में कुपोषित लोगों के लिए जी का जंजाल बन सकते हैं। शोधकर्ताओं की सूची में ये फल-सब्जियां शामिल हैं-

1- वेस्ट अफ्रीका में पाया जाने वाला एक सदाबहार फल और जमैका के लोगों का पसंदीदा फल (एकी) भी संभावित रूप से न्यूरोटॉक्सिक बताया गया है।
2- दुनिया भर में खाया जाने वालला दक्षिणी एशियाई फल फल लीची भी जहरीला बताया गया है।
3- एक तरह की घास जो भारत में साग-भाजी के तौर और अफ्रीका में भी खायी जाती है। इसे प्रोटीन युक्त माना जाता है इसको भी कुपोषित लोगों के नुकसानदायक बताया गया है।
4- कसावा, एक पौधा जिसकी जड़ों और पत्तियों का सेवन उप-सहारा में किया जाता है। यह कुपोषित लोगों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

शोधकर्ताओं का कहना है कि ये घास, फल-सब्जियां  अगर इस्तेमाल में लाई जाती है तो तेजी से मस्तिष्क को प्रभावित कर सकते हैं या कसावा और मटर वाली घास इंसान को विकलांग बना सकती है। शरीर को अपंग वाले रोग उत्पन्न कर सकती है। हालाँकि, यह पौधों के उत्पादों की मात्रा के साथ खराब स्वास्थ्य वाले लोगों की खपत पर भी निर्भर करता है। वहीं इन पौधे के नुकसानदायक की समस्या गरीबी, भूख और तेजी से हो रहे जलवायु परिवर्तन के कारण हो सकती है।

तेजी से बढ़ रहे कैंसर के मरीज, गुजरात में सामने आए सबसे ज्यादा मामले
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तेजी से बढ़ रहे कैंसर के मरीज, गुजरात में सामने आए सबसे ज्यादा मामले

साल 2019 के नेशलन हेल्थ डाटा के अनुसार, 2017 और 2018 के बीच सामान्य कैंसर के मामलों में 324 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसमें ओरल, सर्विकल और ब्रेस्ट कैंसर के मामले शामिल हैं। 2018 में 1.6 लाख लोग कैंसर के शिकार पाए गए, वहीं 2017 में कैंसर पीड़तों की संख्या 39,635 थी।  एनसीडी क्लिनिक्स में आने वाले लोगों की संख्या में भारी वृद्धि दर्ज की गई है। ये जिला अस्पतालों के वे क्लिनिक होते हैं जहां कैंसर, डायबिटीज, हायपरटेंशन, कार्डियोवैस्कुलर डिजीज और स्ट्रोक के मरीजों को रेफर किया जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि जीवनशैली में तेजी से बदलाव आने, खान-पान की बदलती आदतों, तनाव और शराब व तंबाकू के बढ़ते इस्तेमाल से कैंसर की बीमारी बढ़ रही है। बताया गया कि कैंसर के सबसे ज्यादा मामले गुजरात में सामने आए। इसके बाद कर्नाटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल में कैंसर के सबसे ज्यादा मामले देखे गए। यहां तक कि आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में जहां पहले कैंसर के कम मामले सामने आते थे, 2018 में इनमें तेज वृद्धि पाई गई। एक्शन कैंसर हॉस्पिटल के सीनियर ओन्कोलॉजिस्ट डॉक्टर हरप्रीत सिंह का कहना है कि तंबाकू का बढ़ता इस्तेमाल ओरल कैंसर की प्रमुख वजह है। इसके अलावा आरामदेह जीवनशैली और मोटापा बढ़ने से भी हर तरह के कैंसर के मामलों में बढ़ोत्तरी हो रही है। स्वास्थ्य मंत्रालय कैंसर, डायबिटीज, कार्डियोवैस्कुलर डिजीज और स्ट्रोक के रोकथाम और इन पर नियंत्रण के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाने पर जोर दे रहा है। इसका उद्देश्य इन बीमारियों के जल्दी डायग्नोसिस के साथ लोगों की जीवनशैली में बदलाव लाना भी है।   

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