ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को अचला एकादशी (Achala Ekadashi 2022, Apara Ekadashi 2022) कहते हैं। इसका एक नाम अपरा भी है। इस बार ये एकादशी 26 मई, गुरुवार को है।
धर्म ग्रंथों के अनुसार, ज्येष्ठ मास में आने वाले सभी मंगलवार को बड़ा मंगल (Bada Mangal) कहा जाता है। इस दिन हनुमानजी की विशेष पूजा की जाती है और मंदिरों में विशेष आयोजन भी किए जाते हैं।
हस्तरेखा (palmistry) ज्योतिष शास्त्र की ही एक अंग है। इस विधा में हाथ की रेखाओं और निशानों को देखकर भूत, भविष्य और वर्तमान के बारे में पता लगाया जा सकता है।
नक्षत्र मेखला की गणना के अनुसार, 25 मई को सूर्यदेव रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। इस नक्षत्र में सूर्य 8 जून तक रहेंगे। ये चंद्रमा का सबसे प्रिय नक्षत्र है, क्योंकि इन नक्षत्र में ये ग्रह उच्च का होता है।
आज (22 मई, रविवार) ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि रहेगी। इस दिन सूर्योदय धनिष्ठा नक्षत्र में होगा, जो पूरे दिन रहेगा। रविवार को धनिष्ठा नक्षत्र होने से मातंग नाम का शुभ योग इस दिन बन रहा है।
आज (23 मई, सोमवार) ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि रहेगी। इस दिन सूर्योदय शतभिषा नक्षत्र में होगा, जो पूरे दिन रहेगा। सोमवार को शतभिषा नक्षत्र होने से अमृत नाम का शुभ योग इस दिन बन रहा है।
धर्म ग्रंथों के अनुसार जब भी किसी महीने में रविवार और सप्तमी तिथि का योग बनता है तो उसे भानु सप्तमी (Bhanu Saptami 2022) कहते हैं। इस बार 22 मई, रविवार का ऐसा योग बन रहा है क्योंकि इस दिन ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी में सूर्योदय होगा।
ज्योतिष का ही एक अंग है हस्तरेखा। इसके अंतर्गत हथेली की हर छोटी-छोटी रेखाओं के बारे में बताया गया है। हस्तरेखा शास्त्र में कुछ रेखाओं को बहुत शुभ माना गया है तो कुछ रेखाओं बहुत ही अशुभ।
ज्योतिष शास्त्र में शुक्र को प्रेम और सौंदर्य के कारक माना जाता है। साथ ही जीवन की सभी सुख-सुविधाएं भी इसी ग्रह के अधीन है। जिस व्यक्ति की कुंडली में शु्क्र ग्रह शुभ होता है उसे अपने जीवन में पैसों से जुड़ी कोई समस्या नहीं रहती।
आज (21 मई, शनिवार) ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि है। इस दिन सूर्योदय उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में होगा, जो सुबह 6 बजे तक रहेगा। इसके बाद श्रवण नक्षत्र रात अंत तक रहेगा।