उत्तर कोरिया ने 5 महीने बाद फिर बैलिस्टिक मिसाइलों का परीक्षण किया है। कई कम दूरी की मिसाइलें 350 किमी तक गईं। यह परीक्षण ट्रंप के एशिया दौरे और APEC शिखर सम्मेलन से पहले हुआ, जिसे दक्षिण कोरिया ने उकसावे की कार्रवाई बताया है।
सियोल: दक्षिण कोरिया ने कहा है कि उत्तर कोरिया ने फिर से बैलिस्टिक मिसाइलों का परीक्षण किया है। दक्षिण कोरियाई सेना के मुताबिक, उत्तर कोरिया ने पांच महीने में पहली बार बैलिस्टिक मिसाइलों का परीक्षण किया है। सेना ने बताया कि प्योंगयांग के दक्षिण में एक इलाके से कई कम दूरी की मिसाइलें दागी गईं, जो उत्तर-पूर्व की ओर करीब 350 किलोमीटर तक गईं। अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने रिपोर्ट किया है कि मिसाइलें समुद्र में नहीं गिरीं, लेकिन दक्षिण कोरियाई जॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ ने और जानकारी देने से इनकार कर दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एशियाई दौरे से ठीक पहले हुए इस मिसाइल परीक्षण पर दुनिया भर में चर्चा हो रही है। दक्षिण कोरिया ने इस परीक्षण को उत्तर कोरिया की उकसावे वाली कार्रवाई बताया है, क्योंकि यह तब हुआ है जब ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग समेत दुनिया के कई नेता 30 अक्टूबर से 1 नवंबर तक दक्षिण कोरिया के ग्योंगजू में होने वाले एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (एपेक) शिखर सम्मेलन के लिए आने वाले हैं।
क्या इस इलाके में तनाव बढ़ेगा?
दक्षिण कोरिया ने यह भी आरोप लगाया कि उत्तर कोरियाई शासक के निर्देश पर किया गया यह मिसाइल परीक्षण इलाके में तनाव बढ़ाने की एक कोशिश है। दक्षिण कोरिया ने घोषणा की है कि वह उत्तर कोरिया की किसी भी उकसावे वाली कार्रवाई का जवाब देने के लिए तैयार है। उन्होंने यह भी कहा कि किम जोंग उन को यह नहीं भूलना चाहिए कि उनका अमेरिका के साथ सैन्य गठबंधन है। हालांकि, उत्तर कोरिया ने अभी तक इस मिसाइल परीक्षण पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। लेकिन जापान के नए प्रधानमंत्री साने ताकाइची ने बताया है कि वह इस इलाके के घटनाक्रमों को लेकर अमेरिका और दक्षिण कोरिया के साथ लगातार संपर्क में हैं। इससे पहले उत्तर कोरिया ने 8 मई को कम दूरी की मिसाइलों का परीक्षण किया था। उस समय अंतरराष्ट्रीय समुदाय में इसकी काफी आलोचना हुई थी।
दूसरे कार्यकाल में ट्रंप का पहला एशिया दौरा
हाल ही में एक सैन्य परेड में, उत्तर कोरियाई शासक किम जोंग उन ने नई अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलें दिखाई थीं। उत्तर कोरिया का दावा है कि यह देश की सबसे ताकतवर परमाणु हथियार प्रणाली है। इस नए मिसाइल परीक्षण के मुद्दे पर डोनाल्ड ट्रंप की मौजूदगी वाले एपेक शिखर सम्मेलन में चर्चा हो सकती है। उम्मीद है कि किम जोंग उन के साथ अच्छे संबंध रखने वाले ट्रंप का दक्षिण कोरिया आना इस इलाके में राजनीतिक संतुलन के लिए अहम हो सकता है। दूसरी बार अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद यह ट्रंप का पहला एशियाई दौरा है।
एपेक शिखर सम्मेलन के हिस्से के रूप में अपने एशिया दौरे पर, ट्रंप दक्षिण कोरिया पहुंचने से पहले मलेशिया और जापान भी जाएंगे। इन देशों के साथ विस्तार से चर्चा के बाद ही ट्रंप एपेक शिखर सम्मेलन में पहुंचेंगे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यहां ट्रंप चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ एक अहम मुलाकात कर सकते हैं। टैरिफ बढ़ाने के मुद्दे को देखते हुए अमेरिका-चीन की यह बातचीत दोनों देशों के लिए बहुत ज़रूरी होगी। ट्रंप दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति से भी मिल सकते हैं। इन बैठकों में उत्तर कोरिया के मिसाइल परीक्षण और इलाके में सैन्य-राजनीतिक तनाव पर चर्चा होने की संभावना है। अब देखना यह होगा कि क्या ट्रंप एशिया में अपना प्रभाव बनाए रखने के लिए दक्षिण कोरिया और जापान के साथ संबंधों को और मजबूत करने की कोशिश करेंगे। साथ ही, यह भी देखना होगा कि वह किम जोंग उन और शी जिनपिंग से कैसे निपटते हैं।
