Mark Zuckerberg: सोशल मीडिया साम्राज्य के मालिक मार्क जकरबर्ग के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं। यदि उनके खिलाफ चल रहे अविश्वास मुकदमें में फैसला खिलाफ रहा तो उन्हें इंस्टाग्राम या व्हाट्सएप जैसे प्लेटफार्म बेचने पड़ सकते हैं। दरअसल, अमेरिका की फेडरल ट्रेड कमिशन ने जकरबर्ग की कंपनी मेटा के खिलाफ मुकदमा चलाया हुआ है। ये अविश्वास मुकदमा इस सप्ताह काफी आगे बढ़ गया है और जकरबर्ग को कठघरे में खड़े होकर सफाई देनी पड़ी है।
अवैध एकाधिकार स्थापित करने का आरोप
एफटीसी का आरोप है कि मेटा ने 2012 में इंस्टाग्राम और 2014 में व्हाट्सएप के अधिग्रहण के जरिए सोशल मीडिया बाजार में अवैध एकाधिकार स्थापित किया। मेटा ने साल 2012 में एक अरब डॉलर में इंस्टाग्राम को और साल 2014 में 19 अरब डॉलर में व्हाट्सएप को खरीदा था।
16 अप्रैल को तीन दिन की गवाही पूरी की
मेटा के सीईओ मार्क जकरबर्ग ने 16 अप्रैल को तीन दिन की गवाही पूरी की, जिसमें उन्होंने इन अधिग्रहणों को प्रतिस्पर्धा को खत्म करने के बजाय ऐप्स के मूल्य को बढ़ाने वाला कदम बताया। उन्होंने टिकटॉक और यूट्यूब से प्रतिस्पर्धा का हवाला दिया। हालांकि, एफटीसी ने जो ईमेल पेश किए गए उनसे पता चला कि जकरबर्ग इंस्टाग्राम को "खतरनाक नेटवर्क" मानते थे और मेटा का इरादा प्रतिस्पर्धियों को "निष्प्रभावी" करने का था।
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इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप बेचने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है
यह मुकदमा यदि मेटा के खिलाफ रहा तो जकरबर्ग को इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप बेचने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है। अब इस मुकदमे में पूर्व सीईओ शेरिल सैंडबर्ग की गवाही होगी। जकरबर्ग ने बातचीत के जरिए भी इस मुकदमे को सुलझाने की कोशिश की और एक अरब डॉलर तक एफटीसी को देने की पेशकश की। लेकिन एफटीसी ने तीस अरब डॉलर तक की मांग की है।
एफटीसी का ये मुकदमा बिग टेक यानी दुनिया की बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियों के लिए भी बड़ा इम्तेहान साबित हो सकता है। इससे ये भी संकेत मिल रहा है कि ट्रंप प्रशासन एफटीसी के जरिए जकरबर्ग की नकेल कस सकता है। ये बाकी बिग टेक कंपनियों के लिए भी उदाहरण बन जाएगा।