इसमें तेरा घाटा..मेरा कुछ नहीं जाता! चीन का 1 दांव और चित हुए Trump
US-China Trade War: अमेरिका-चीन में पिछले कुछ दिनों से लगातार टैरिफ वॉर चल रहा है। दोनों एक-दूसरे के खिलाफ बढ़-चढ़कर Tariff लगा रहे हैं। हालांकि, इसी बीच चीन ने एक ऐसा दांव खेला है, जिससे न सिर्फ ट्रंप बल्कि अमेरिका को भी चारों खाने चित कर दिया है।
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चीन की रीढ़ तोड़ना चाहते हैं Trump
चीन-अमेरिका में टैरिफ ट्रेड वॉर बढ़ता ही जा रहा है। अमेरिका ने दुनिया के सभी देशों पर लगाया टैरिफ 90 दिनों के लिए हटा लिया, लेकिन चीन को इससे राहत नहीं दी। उल्टा और टैरिफ थोप दिया।
चीन ने Boing से नए विमानों की खरीदी बंद की
दरअसल, चीन ने हाल ही में अपनी एयरलाइन कंपनियों को अमेरिकी विमान कंपनी बोइंग से नए विमानों की खरीद पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही वहां बनने वाले विमानों के पार्ट्स को भी अपने यहां बैन कर दिया है।
चीन की हरकत से तिलमिलाए ट्रंप ने थोपा 245% टैरिफ
चीन की इस हरकत से भड़के ट्रंप ने ड्रैगन पर 245% का टैरिफ लगा दिया। इससे पहले चीन ने 11 अप्रैल को उसके सामानों पर 125% का टैरिफ लगाया था।
उल्टा पड़ गया ट्रम्प का दांव
ट्रंप भले ही चीन पर टैरिफ बढ़ाकर खुद को सबसे ताकतवर साबित करने में लगे हैं, लेकिन इस टैरिफ वॉर में चीन से कहीं ज्यादा अमेरिका का ही नुकसान हो गया है।
ट्रंप की अकड़ ने कराया अमेरिका का भारी नुकसान
दरअसल, अमेरिकी विमान कंपनी Boing ने अनुमान लगाया है कि चीन को अगले 20 सालों में करीब 8830 नए विमानों की जरूरत पड़ेगी, लेकिन ट्रंप की अकड़ में अब उसे भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।
Boing कंपनी के शेयर में आई गिरावट
चीन द्वारा Boing कंपनी के विमानों को बैन की खबर के बाद इसके शेयरों में भारी गिरावट देखी गई। फिलहाल इसका स्टॉक 157.23 डॉलर के आसपास ट्रेड कर रहा है।
Boing में 1.5 लाख से ज्यादा कर्मचारी
बता दें कि Boing अमेरिका की सबसे बड़ी विमान एक्सपोर्टर कंपनी है। इसमें 1.5 लाख से ज्यादा कर्मचारी हैं। कंपनी को 2018 के बाद से अब तक 51 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है।
चीन समेत कई देशों को विमान बेचती है Boing
बोइंग कंपनी अपने दो तिहाई विमान दुनियाभर के दूसरे देशों को बेचती है, जिनमें चीन उसके लिए सबसे बड़ा मार्केट था। हालांकि, ट्रंप के ट्रेड वार से न सिर्फ कंपनी बल्कि अमेरिका को भी भारी नुकसान होगा।
चीन के डिलिवरी रोकने से Boing को भारी घाटा
Boing के मुताबिक, 2024 के आखिर तक उसके पास 55 विमान स्टॉक में पड़े थे, जिनमें से ज़्यादातर चीन और भारत के लिए थे। हालांकि, चीन के डिलिवरी रोकने के बाद अब ये स्टॉक क्लियर करना मुश्किल है।