मथुरा के बांके बिहारी मंदिर में चल रही होली की खास तैयारी, विशेष फूलों से गुलाल बना रहीं विधवा माताएं
ब्रजगंधा प्रसाद समिति के प्रोडक्ट कॉर्डिनेटर विक्रम शिवपुरी ने बताया कि बांके बिहारी मंदिर में चढ़ने वाला फूल सबसे ज्यादा फूल बंगलों के दौरान आता है। इस दौरान प्रतिदिन करीब 40-50 किलो फूल आते हैं । उन्होंने बताया कि चढ़ावे के फूलों की सबसे पहले सफाई जैसे धागा निकलना आदि काम इन महिलाओं द्वारा किया जाता है जिसके बाद छंटाई का काम होता है। बाद में फूलों को सुखाया जाता है और फिर पीसकर उनका पाउडर तैयार करके रख लिया जाता है। इस पाउडर का इस्तेमाल अगरबत्ती बनाने में भी होता है लेकिन होली पर इससे गुलाल तैयार किया जाता है। इस बार 4-5 क्विंटल गुलाल तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है।
मथुरा: अपनों ने जिन माताओं की जिंदगी को बजरंग कर दिया था वह माताएं अब दूसरों की जिंदगी में रंग भरने का कार्य कर रही हैं। वृंदावन के चैतन्य विहार स्थित महिला आश्रय सदन में दर्जनों विधवा माताएं ठाकुर जी के चरणों में अर्पण किए गए प्राकृतिक फूलों से गुलाल बनाने का कार्य कर रही हैं। ठाकुरजी के चरणों में अर्पित किए गए फूलों से बना हो तो लोगों की आस्था इन रंग या गुलाल में और भी प्रगाढ़ हो जाती है। ब्रज गंधा प्रसाद समिति के सेल्स एंड डेवलपमेंट के असिस्टेंट मैंनेजर सुधांशू मिश्रा ने बताया कि अपनी सुविधा के अनुसार यहां रह रही माताएं समय निकाल कर फूलों से हर्बल गुलाल तैयार करने में जुटी हैं। करीब 60 विधवा माताएं फूलों से गुलाल बनाने में जुटी हुई हैं। भगवान बांके बिहारी मंदिर में चढ़ाए गए फूलों से गुलाल बनाया जाता है। उन्होंने बताया कि करीब 30 से 40 किलो प्रतिदिन फूल मंगाए जाते हैं। इन फूलों में गुलाब गेंदा के साथ-साथ चमेली और मोगरा के फूल भी शामिल हैं। विधवा माताएं सभी फूलों को अलग अलग करती हैं और इन्हें सुख आती हैं उसके बाद मशीन के जरिए पाऊडर तैयार किया जाता है। 3 दिन की प्रक्रिया के बाद गुलाल तैयार होकर पैकेजिंग के लिए जाता है। उन्होंने कहा कि रुपये 50 का 50 ग्राम और 100 रुपये का 100 ग्राम गुलाल हम लोग बेचते हैं। पिछली बार होली पर करीब डेढ़ कुंटल गुलाल हम लोग विभिन्न माध्यमों से लोगों को बेच चुके हैं। जिला प्रोबेशन अधिकारी अनुरागश्याम रस्तोगी ने बताया कि मंदिरों में चढ़ने वाले फूलों से गुलाल और अगरबत्ती बनाने का काम पिछले वर्ष शुरू किया गया था। पिछले साल होली पर करीब 1 क्विंटल गुलाल बनाकर करीब 1 लाख रुपए का बिक्री किया गया था। प्राकृतिक गुलाल की बढ़ती डिमांड को देखते हुए इसबार करीब 2-3 क्विंटल गुलाल तैयार किया जा रहा है।
फूल बंगला उत्सव में आता है सर्वाधिक फूल
ब्रजगंधा प्रसाद समिति के प्रोडक्ट कॉर्डिनेटर विक्रम शिवपुरी ने बताया कि बांके बिहारी मंदिर में चढ़ने वाला फूल सबसे ज्यादा फूल बंगलों के दौरान आता है। इस दौरान प्रतिदिन करीब 40-50 किलो फूल आते हैं । उन्होंने बताया कि चढ़ावे के फूलों की सबसे पहले सफाई जैसे धागा निकलना आदि काम इन महिलाओं द्वारा किया जाता है जिसके बाद छंटाई का काम होता है। बाद में फूलों को सुखाया जाता है और फिर पीसकर उनका पाउडर तैयार करके रख लिया जाता है। इस पाउडर का इस्तेमाल अगरबत्ती बनाने में भी होता है लेकिन होली पर इससे गुलाल तैयार किया जाता है। इस बार 4-5 क्विंटल गुलाल तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है।
गुलाल बनाने का मिलता है मेहनताना
सरकार की ओर से तो यहां रह रही निराश्रित माताओं को पेंशन मिलती ही है। अगरबत्ती और गुलाल बनाने के एवज में भी इन महिलाओं को इनके काम के समय के मुताबिक पारिश्रमिक दिया जाता है। जिला प्रोबेशन अधिकारी ने बताया कि चैतन्य विहार आश्रय सदन में करीब 230 महिलाएं रह रही हैं, लेकिन इन दिनों चल रहे गुलाल बनाने के काम में वे अपनी सुविधा और समय के अनुसार ही काम करती हैं। समय के हिसाब से उन्हें बकायदा इसके लिए पारिश्रमिक भी दिया जाता है। डीपीओ ने बताया कि करीब डेढ़ साल पहले वृद्ध माताओं को कम मेहनत कर आजीविका के अतिरिक्त साधन उपलब्ध कराने की सोच के साथ इस प्रोजेक्ट को शुरू किया गया।
बांके बिहारी के चरणों में अर्पण होने के बाद बाजार में बेचने के लिए तैयार किया जाता है गुलाल
चैतन्य विहार स्थित महिला आश्रय सदन में पिछले 10 वर्षों से रह रही बदायूं की विजवा माता पार्वती ने बताया कि 3 वर्ष से हम यह गुलाल बना रहे हैं। भगवान के श्री चरणों से मंगाए गए फूलों का गुलाल लोगों के माथे पर लग कर माथे की शोभा बढ़ाता है। उन्होंने बताया कि इट्स गुलाल को बेचने से पहले ठाकुर बांके बिहारी के श्री चरणों में गुलाल को अर्पित किया जाता है। उसके बाद इसे बेचने के लिए भेजा जाता है। हम सौभाग्यशाली हैं कि भगवान के श्री चरणों से लाए गए फूलों से हम गुलाल तैयार कर रहे हैं।