Kissa UP Ka: सिर्फ एक दिन के सीएम बने जगदंबिका पाल, देना पड़ा था इस्तीफा
कल्याण सिंह उस समय गोरखपुर में पार्टी के लिए प्रचार कर रहे थे। जैसे ही उन्हें यह जानकारी मिली वह सभी कार्यक्रम रद्द कर वापस लखनऊ आ गए। उन्होंने राज्यपाल को समझाने की कोशिश की कि उन्हें विधानसभा में बहुमत सिद्ध करने का मौका दिया जाए। लेकिन उनकी एक न चली। मायावती से मुलाकात के बाद राज्यपाल रोमेश भंडारी ने फैसला लेते हुए कल्याण सरकार को बर्खास्त करने के साथ ही 21 फरवरी की रात को 10 बजे जगदंबिका पाल को सीएम के रूप में शपथ दिलाई।
लखनऊ: आपने नायक फिल्म तो देखी ही होगी और आपको फिल्म का वो सीन भी याद होगा जब अनिल कपूर 24 घंटे के सीएम बने थे। ऐसा ही एक वाकया यूपी से भी सामने आया था। हालांकि इसके आगे का सीन रील और रियल लाइफ में अलग था। आज हम बात कर रहे हैं यूपी की राजनीति में हुए एक किस्से की जिसमें महज 24 घंटे बाद मुख्यमंत्री को कुर्सी छोड़नी पड़ी थी।
यूपी के इतिहास में लोग जगदंबिका पाल से जुड़े उस वाकये को नहीं भूल सकते हैं जब वह 24 घंटे के लिए सीएम बने थे। हालांकि जब वह सीएम बने थे तब जगदंबिका पाल कांग्रेस के साथ थे और मौजूदा समय में वह भाजपा के टिकट पर लोकसभा से सांसद हैं। * वर्ष 1998 में यह वाकया उस दौरान हुआ जब प्रदेश के राज्यपाल रोमेश भंडारी ने जगदंबिका पाल को राज्य का मुख्यमंत्री बना दिया। लेकिन कोर्ट के फैसले के बाद उन्हें पद छोड़ना पड़ा। दरअसल 21 फरवरी 1988 को मायावती ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया और अपनी मंशा साफ कर दी। उन्होंने कहा कि वह कल्याण सिंह सरकार को गिराने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगी। इसके बाद मुलायम सिंह ने भी साफ कर दिया कि वह भी कल्याण सिंह सरकार गिराने में कसर नहीं छोड़ेंगे। इसके बाद उसी दिन मायावती विधायकों के साथ राजभवन पहुंच गईं। उनके साथ में अजीत सिंह की भारतीय किसान कामगार पार्टी, जनता दल औऱ लोकतांत्रिक कांग्रेस के भी विधायक भी थे। राजभवन में मायावती ने भी ऐलान किया कि कल्याण सिंह मंत्रिमंडल में यातायात मंत्री जगदंबिका पाल उनके विधायक दल के नेता होंगें। इसके बाद उन्होंने राज्यपाल रोमेश भंडारी से अनुरोध किया कि कल्याण सिंह मंत्रिमंडल को बर्खास्त करें क्योंकि उन्होंने अपना बहुमत खो दिया है। इसी के साथ जगदंबिका पाल को सीएम पद की शपथ दिलाई जाए।
कल्याण सिंह उस समय गोरखपुर में पार्टी के लिए प्रचार कर रहे थे। जैसे ही उन्हें यह जानकारी मिली वह सभी कार्यक्रम रद्द कर वापस लखनऊ आ गए। उन्होंने राज्यपाल को समझाने की कोशिश की कि उन्हें विधानसभा में बहुमत सिद्ध करने का मौका दिया जाए। लेकिन उनकी एक न चली। मायावती से मुलाकात के बाद राज्यपाल रोमेश भंडारी ने फैसला लेते हुए कल्याण सरकार को बर्खास्त करने के साथ ही 21 फरवरी की रात को 10 बजे जगदंबिका पाल को सीएम के रूप में शपथ दिलाई।
22 फरवरी 1988 को बीजेपी नेता नरेंद्र सिंह गौड़ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में राज्यपाल के फैसले के खिलाफ याचिका दायर कर दी। जिसके बाद अगले ही दिन 3 बजे हाईकोर्ट ने राज्य में कल्याण सिंह सरकार को बहाल करने का आदेश दे दिया। इस फैसले के बाद राज्यपाल रोमेश भंडारी और जगदंबिका पाल के खेमे को तगड़ा झटका लगा। उन्होंने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की लेकिन जगदंबिका पाल को आखिरकार पद से हटना पड़ा। इसी के साथ हाईकोर्ट ने कल्याण सिंह को निर्देश दिए की वह तीन दिन के भीतर सदन में विश्वास मत प्राप्त करें।
26 फरवरी को जब शक्ति परीक्षण हुआ तो कल्याण के पक्ष में 215 मत और जगदंबिका पाल को 196 विधायकों का समर्थन मिला। दो दिन के भीतर ही जगदंबिका पाल को छोड़कर लोकतांत्रिक कांग्रेस के सभी विधायक कल्याण सिंह के खेमें में वापस चले गए। इस तरह से जगदंबिका पाल सिर्फ कुछ ही घंटों तक यूपी के सीएम रहें।
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