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विवाह या शिक्षा में आ रही अड़चन, नवरात्र के छठवें दिन मां कात्यायनी की ऐसे करें पूजा, ऐसा है मां का स्वरूप

वीडियो डेस्क। नवरात्र की षष्ठी तिथि पर मां दुर्गा के छठवें स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। इनके जन्म की कहा बेहद प्रचलित है। कहा जाता है कि कात्यायन नामक एक प्रसिद्ध ऋषि की  तपस्या से प्रसन्न होकर देवी भगवती ने उनके घर में पुत्री के रूप में जन्म लिया था। इस कारण इनका नाम कात्यायनी पड़ा।

Rakhi Singhal | Updated : Apr 07 2022, 12:37 PM
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वीडियो डेस्क। नवरात्र की षष्ठी तिथि पर मां दुर्गा के छठवें स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। इनके जन्म की कहा बेहद प्रचलित है। कहा जाता है कि कात्यायन नामक एक प्रसिद्ध ऋषि की  तपस्या से प्रसन्न होकर देवी भगवती ने उनके घर में पुत्री के रूप में जन्म लिया था। इस कारण इनका नाम कात्यायनी पड़ा। अश्विन कृष्ण चतुर्दशी को जन्मी भगवती ने शुक्ल पक्ष की सप्तमी, अष्टमी एवं नवमी तक ऋषि कात्यायन की पूजा ग्रहण की और दशमी के दिन महिषासुर का वध किया था। मां कात्यायनी का स्वरूप अत्यन्त भव्य एवं दिव्य है। भगवती चार भुजाओं वाली हैं। एक हाथ वर मुद्रा दूसरा अभय मुद्रा में है। तीसरे हाथ में कमल पुष्प और चौथे हाथ में खड्ग सुशोभित है। मां सिंह की सवारी करती हैं। भक्तों पर मां हमेशा कृपा करती हैं। काशी में मां कात्यायनी का मंदिर चौक स्थित संकठा मंदिर के पीछे है। सुनिए क्या बोले पुजारी शिवशंकर मिश्रा। 
 

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