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जश ओझा के परिवार ने पेश की हिम्मत की नई मिसाल

नमस्कार मेरा नाम है इंटरनेशनल खबरी और आज हम बात करेंगे बहादुरी और हिम्मत की मिसाल के बारे में। कहानी है ढाई साल के जश ओझा के परिवार के बारे में जिन्होंने ये दिखाया कि आखिर दुनिया में अच्छाई आज भी जिंदा है। मामला कुछ यूं है कि गुजरात के सूरत शहर में महज ढाई साल के बच्चे के शरीर के अंगदान किए गए। जश ओझा के ब्रेन डेड होने के बादए उसके परिवार ने अंगदान का फैसला किया और उसके फेफड़ेए किडनीए लीवर और आंखें दान दीं। ब्रेन डेड जश के अंगदान से सात लोगों को नया जीवन मिला है। उसके हार्ट को रशिया के बच्चे में और फेफड़े को यूक्रेन के बच्चे में में दान किया गया है।

Amal Chowdhury | Updated : Dec 19 2020, 06:53 PM
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नमस्कार मेरा नाम है इंटरनेशनल खबरी और आज हम बात करेंगे बहादुरी और हिम्मत की मिसाल के बारे में। कहानी है ढाई साल के जश ओझा के परिवार के बारे में जिन्होंने ये दिखाया कि आखिर दुनिया में अच्छाई आज भी जिंदा है। मामला कुछ यूं है कि गुजरात के सूरत शहर में महज ढाई साल के बच्चे के शरीर के अंगदान किए गए। जश ओझा के ब्रेन डेड होने के बादए उसके परिवार ने अंगदान का फैसला किया और उसके फेफड़ेए किडनीए लीवर और आंखें दान दीं। ब्रेन डेड जश के अंगदान से सात लोगों को नया जीवन मिला है। उसके हार्ट को रशिया के बच्चे में और फेफड़े को यूक्रेन के बच्चे में में दान किया गया है।

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