मंकर संक्रांति में क्यों है तिल का महत्व, क्यों बनाए जाते हैं गुड़ और तिल के व्यंजन

हिंदू धर्म में मनाए जाने वाले हर त्योहार के साथ कोई न कोई परंपरा जरूर जुड़ी होती है। इनमें से कुछ परंपराओं का धार्मिक तो कुछ का वैज्ञानिक महत्व होता है। मकर संक्रांति से भी ऐसी ही कई पंरपराएं जुड़ी हैं।

Asianet News Hindi | Updated : Jan 10 2020, 06:04 PM
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वीडियो डेस्क। हिंदू धर्म में मनाए जाने वाले हर त्योहार के साथ कोई न कोई परंपरा जरूर जुड़ी होती है। इनमें से कुछ परंपराओं का धार्मिक तो कुछ का वैज्ञानिक महत्व होता है। मकर संक्रांति से भी ऐसी ही कई पंरपराएं जुड़ी हैं। आज हम आपको मकर संक्रांति से जुड़ी ऐसी ही एक परंपरा और उससे जुड़े वैज्ञानिक तथ्यों के बारे में बता रहे हैं...
मकर संक्रांति पर क्यों खाते हैं तिल-गुड़ के लड्डू?
मकर संक्रांति पर विशेष रूप से तिल-गुड़ के पकवान खाने की परंपरा है। कहीं तिल-गुड़ के स्वादिष्ट लड्डू बनाए जाते हैं तो कहीं चिक्की बनाई जाती है।
तिल-गुड़ की गजक भी लोगों को खूब भाती है। मकर संक्रांति पर तिल-गुड़ का सेवन करने के पीछे वैज्ञानिक आधार भी है।
सर्दी के मौसम में जब शरीर को गर्मी की आवश्यकता होती है, तब तिल-गुड़ के व्यंजन यह काम बखूबी करते हैं।
तिल में तेल की प्रचुरता रहती है और गुड़ की तासीर भी गर्म होती है। तिल व गुड़ को मिलाकर जो व्यंजन बनाए जाते हैं, वह सर्दी के मौसम में हमारे शरीर में आवश्यक गर्मी पहुंचाते हैं।
इस समय ठंड के कारण पाचन शक्ति भी मंद हो जाती है। तिल में पर्याप्त मात्रा में फाइबर होता है, जो पाचन शक्ति को बढ़ाता है।
तिल में कई प्रकार के प्रोटीन, कैल्शियम, बी काम्‍प्‍लेक्‍स और कार्बोहाइट्रेड जैसे तत्व पाये जाते हैं, जो इस मौसम में शरीर के लिए जरूरी होते हैं।
गुड़ मैग्नीशियम का एक बेहीतरीन स्रोत है। ठंड में शरीर को इस तत्व की बहुत आ‌वश्यकता होती है।
यही कारण है कि मकर संक्रांति के अवसर पर तिल व गुड़ के व्यंजन प्रमुखता से खाए जाते हैं।
 

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