सार
वक्फ संशोधन विधेयक 2025 राज्यसभा में पास! भाजपा ने कैसे अपने 'धर्मनिरपेक्ष' सहयोगियों को समर्थन के लिए मना लिया? NDA में टूट या मजबूरी? जानिए इस राजनीतिक उलटफेर की पूरी कहानी।
Waqf Amendment Bill: राज्यसभा ने शुक्रवार की सुबह वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को पारित कर दिया, जिसमें 128 सदस्यों ने समर्थन किया, जबकि 95 ने विरोध किया। इससे पहले गुरुवार को लोकसभा में विधेयक 288-232 के मतों से पारित हुआ। अब यह विधेयक कानून बनने के लिए राष्ट्रपति की मंजूरी का इंतजार कर रहा है।
कैसे BJP ने NDA के 'धर्मनिरपेक्ष' सहयोगियों को समर्थन के लिए तैयार किया?
इस विधेयक का पारित होना मोदी सरकार के लिए एक बड़ी जीत मानी जा रही है, जिसे लोकसभा में अपने सुचारू संचालन के लिए चंद्रबाबू नायडू की तेलुगु देशम पार्टी (TDP) और नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड (JDU) जैसे सहयोगियों की जरूरत थी। लेकिन सवाल उठता है कि TDP और JDU, जो मुस्लिम समर्थन पर निर्भर हैं, उन्होंने इस विधेयक को समर्थन क्यों दिया? क्या भाजपा ने इन दलों को मनाने के लिए कोई खास रणनीति अपनाई? क्या यह धर्मनिरपेक्षता से समझौता है या सियासी मजबूरी?
बंद कमरों में क्या हुआ? BJP की 'मास्टरस्ट्रोक' रणनीति!
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त में विधेयक पेश करने से पहले भाजपा के वरिष्ठ मंत्रियों ने TDP और JDU नेताओं को समझाया कि यह विधेयक मुस्लिम हितों की रक्षा के लिए है।
JDU और TDP के लिए BJP ने क्या बदलाव किए?
सरकार ने संयुक्त संसदीय समिति बनाकर 14 संशोधन किए।
JDU और TDP के महत्वपूर्ण सुझावों को शामिल किया गया।
संशोधित विधेयक को कैबिनेट ने मंजूरी दी।
JDU में बगावत – वरिष्ठ नेता का इस्तीफा!
JDU नेता मोहम्मद कासिम अंसारी ने पार्टी से इस्तीफा देते हुए कहा कि "JDU पर धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को बनाए रखने का भरोसा था, लेकिन अब वह भरोसा टूट गया है!"
नीतीश कुमार को इतिहास कैसे याद रखेगा? प्रशांत किशोर का हमला
जन सुराज पार्टी के प्रमुख प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार पर सीधा हमला बोला और कहा – "जब इतिहास लिखा जाएगा, तो इस कानून का दोष भाजपा से ज्यादा नीतीश कुमार जैसे नेताओं पर पड़ेगा।"
भाजपा का जवाब – 'हम दिखावटी सेवा में नहीं, सच्ची सेवा में विश्वास करते हैं'। भाजपा नेता जेपी नड्डा और किरेन रिजिजू ने विधेयक का बचाव करते हुए कहा कि – यह कानून मुस्लिम हितों की रक्षा करता है।विपक्ष विधेयक पर 'गुमराह' कर रहा है। वक्फ बोर्ड एक सरकारी निकाय है, इसे धर्मनिरपेक्ष होना चाहिए।
विपक्ष का हमला – 'विधेयक असंवैधानिक है!'
कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, डीएमके और वामपंथी दलों ने आरोप लगाया कि - "इस कानून का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों को हड़पना और उन्हें कॉर्पोरेट कंपनियों को सौंपना है।"
क्या होगा आगे? राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद बड़ा असर!
अब यह विधेयक राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी के बाद कानून बन जाएगा। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि - BJP ने सहयोगियों को अपने पक्ष में लाकर 2025 चुनाव के लिए 'बड़ा दांव' खेला है, लेकिन सवाल ये भी है कि क्या नीतीश और नायडू का मुस्लिम वोट बैंक इस फैसले से BJP की ओर शिफ्ट होगा? जानकारों का मानना है कि नीतिश को यह मलाल काफी दिनों से है कि उन्होंने मुस्लिमों के लिए बहुत कुछ किया लेकिन मुस्लिमों ने उनका साथ नहीं दिया। इसी वजह से आज उनकी पार्टी जनता दल यूनाइटेड तीसरे नंबर पर पहुंच गई है।
क्या BJP की यह रणनीति 2025 के चुनावों में गेम-चेंजर होगी?
राजनीतिक गलियारों में इस फैसले की गूंज लंबे समय तक सुनाई देगी कि क्या BJP के धर्मनिरपेक्ष सहयोगी अब हिंदू वोटों को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं? क्या विपक्ष इस मुद्दे पर BJP को घेर पाएगा? क्या मुस्लिम समुदाय इस विधेयक को अपने खिलाफ मानेगा? इन सारे सवालों का जवाब तो आने वाला वक्त तय करेगा।