सार

रीवा गैंगरेप केस में ऐतहासिक फैसला! महज 5 महीने और 13 दिन में ही 8 दोषियों को मृत्यु तक जेल में रहने की सजा, अदालत का सख्त रुख। जानिए कैसे पति के सामने हुआ यह खौफनाक अपराध – पूरी खबर पढ़ें।

Rewa gangrape Case: मध्य प्रदेश के रीवा जिले में हुए एक खौफनाक गैंगरेप मामले में अदालत ने 8 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। यह मामला 21 अक्टूबर 2024 का है, जब एक नवविवाहित महिला को उसके पति के सामने दरिंदगी का शिकार बनाया गया। बड़ी बात यह है कि पुलिस जांच से लेकर पूरी अदालती प्रक्रिया का प्रॉसे महज 163 दिन में पूरा करके दोषियों को सजा देने और दिलाने का इतिहास रच गया। अदालत ने अपने ऐतिहासिक फैसले में दोषियों को जीवनभर जेल में रहने की सजा दी है, जिससे यह मामला महिला सुरक्षा को लेकर एक सख्त संदेश बन गया है।

पूरा मामला: क्या हुआ था उस खौफनाक रात?

  • घटना दिनांक: 21 अक्टूबर 2024
  • स्थान: गढ़ थाना क्षेत्र, रीवा, मध्य प्रदेश
  • पीड़िता: 19 वर्षीय नवविवाहिता (कॉलेज छात्रा)
  • अपराधी: 8 आरोपी (रामकिशन, गरुड़ कोरी, राकेश गुप्ता, सुशील कोरी, रजनीश कोरी, दीपक कोरी, राजेंद्र कोरी, लवकुश कोरी) इस खौफनाक घटना की शुरुआत तब हुई जब एक नवविवाहित जोड़ा एक पहाड़ी मंदिर से दर्शन कर घर लौट रहा था। रास्ते में पहले से घात लगाए बैठे 8 दरिंदों ने पति-पत्नी को जबरन रोक लिया और उन्हें एक सुनसान जगह ले गए। दोषियों में से 6 ने महिला के साथ गैंगरेप किया, जबकि 2 ने अपराध में सहायता की। घटना के वक्त आरोपी शराब के नशे में थे और वारदात को अंजाम देकर फरार हो गए। पुलिस जांच और गवाहों के बयान के बाद आरोपियों पर धारा 70 (गैंगरेप) समेत कई धाराएं लगाई गईं।

अपराधियों ने पहले क्या किया?

पति को बुरी तरह पीटा और बेहोश कर दिया। फिर 6 अपराधियों ने महिला के साथ बारी-बारी से गैंगरेप किया। 2 अन्य आरोपियों ने अपराध को अंजाम देने में मदद की। शराब के नशे में धुत आरोपियों ने महिला के साथ क्रूरता की सारी हदें पार कर दीं। अपराध के बाद सभी आरोपी फरार हो गए। पीड़िता ने किसी तरह अपने पति को होश में लाया और पुलिस को सूचना दी, जिसके बाद एफआईआर दर्ज कर सभी आरोपियों को गिरफ्तार किया गया।

कोर्ट का फैसला: न्याय की बड़ी जीत!  

न्यायाधीश पद्मा जाटव की अदालत में चले मुकदमे में, सभी आरोपियों को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 70 (गैंगरेप) और अन्य गंभीर धाराओं में दोषी ठहराया गया। साक्ष्यों, डीएनए रिपोर्ट, और पीड़िता के बयान के आधार पर आरोपियों को अपराधी साबित किया गया। न्यायाधीश ने कहा कि "यह अपराध मानवता के खिलाफ है, ऐसे अपराधियों को कभी माफ नहीं किया जा सकता!"

आरोपियों को कितनी दी गई सजा?

  • 8 दोषियों को उम्रभर (मृत्यु तक) जेल में रहने की सजा।
  • प्रत्येक दोषी पर ₹2,30,000 का जुर्माना।
  • पीड़िता को मुआवजा देने का आदेश।
  • सरकारी वकील ने सख्त सजा की मांग की थी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार किया।

सीएम मोहन यादव ने क्या कहा?

लोक अभियोजक विकास द्विवेदी ने कहा, "यह फैसला महिला सुरक्षा के लिए एक मिसाल बनेगा। अदालत ने सख्त रुख अपनाया है, जिससे ऐसे अपराधियों को कड़ा संदेश जाएगा।" जबकि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने ट्वीट कर कहा कि "महिलाओं के खिलाफ अपराध बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे। हमारी सरकार न्याय दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है।" पुलिस अधीक्षक (SP) रीवा का कहना है कि "हमने तेज़ी से कार्रवाई की और सभी सबूत कोर्ट में पेश किए, जिससे आरोपियों को कड़ी सजा दिलाई जा सकी।"

एक्सपर्ट की राय: क्यों है यह फैसला ऐतिहासिक?

वरिष्ठ वकील अश्विनी गुप्ता बताते हैं, "महिला अपराधों में फास्ट-ट्रैक कोर्ट से न्याय दिलाना जरूरी है। यह फैसला देशभर में एक मिसाल बनेगा।" समाजशास्त्री डॉ. शालिनी सिंह के अनुसार "महिला सुरक्षा को लेकर सरकार को और कठोर कदम उठाने होंगे, जिससे ऐसे अपराधों पर रोक लग सके।" -

न्याय हुआ, पर क्या यह पर्याप्त है?

कोर्ट का यह फैसला न सिर्फ पीड़िता के लिए न्याय है, बल्कि महिला सुरक्षा के लिए भी एक मजबूत संदेश देता है। सवाल यह उठता है – क्या इतनी कठोर सजा के बाद भी ऐसे अपराध रुकेंगे? समाज और सरकार को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि महिलाओं के खिलाफ अपराधों का पूरी तरह से खात्मा हो।