Year Ender 2025 : वर्ष 2025 में काशी की 3 पद्म सम्मानित विभूतियों का निधन हो गया। इनमें योग गुरु बाबा शिवानंद, समाजसेवी बिमला पोद्दार और शास्त्रीय गायक पं. छन्नूलाल मिश्र शामिल हैं। पं. मिश्र PM मोदी के प्रस्तावक भी रह चुके थे।

वाराणसी : सन 2026 की शुरुआत कुछ दिनों में होने वाली है। 2025 की खट्टी मीठी यादों के साथ यह साल हमेशा लोगों को याद आएगा। इस साल 2025 में काशी के तीन महान विभूतियों ने दुनिया को अलविदा कहा है। जो भारत सरकार के सर्वोच्च पुरस्कार पद्म सम्मान से सम्मानित है। समाजसेवा, संगीत कला एवं योग साधना ने इनको विश्व पहचान दिलाई। इसमें एक व्यक्ति के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मुरीद हैं, जो लोकसभा चुनाव में उनके प्रस्तावक भी रह चुके हैं।

कौन हैं ये तीन महान हस्तियां

धर्म एवं आध्यात्म की नगरी काशी विद्वानों की नगरी मानी जाती है। शिक्षा, संगीत, कला, योग एवं समाजसेवा सहित अन्य क्षेत्रों से जुड़े विद्वान मिल जाएंगे। इन्हीं विद्वानों में से सन 2025 से तीन विद्वान योग गुरु बाबा शिवानंद, सामाजिक कार्यकर्ता बिमला पोद्दार एवं शास्त्री संगीत के पुरोधा पंडित छन्नूलाल मिश्रा जो इस दुनिया को छोड़ चले गए।

योग गुरु बाबा शिवानंद

योग गुरु बाबा शिवानंद को भारत सरकार ने 126 वर्ष की उम्र में पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया है। पद्मी सम्मान लेते समय स्वामी शिवानंद ने जमीन पर बैठ कर तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को प्रणाम किया था। जिसके बाद लोगों ने उनकी सादगी की तारीफ की। बाबा शिवानंद ने योग, साधना और आध्यात्मिक जीवन में अपना योगदान दिया। 3 मई 2025 को उनका वाराणसी में निधन हुआ। उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य नेताओं ने श्रद्धांजलि दी थी। स्वामी शिवानंद के जीवन में जन्म से ही बहुत उतार चढ़ाव पर उन्होंने हार नहीं मानी।

स्वामी शिवानंद के 128 साल तक जीवित रहने का राज

स्वामी शिवानंद दुनिया के सबसे उम्र तक जीने वाले व्यक्तियों में से एक व्यक्ति थे। स्वामी शिवानंद का खानपान एवं दिनचर्या का सीमित था। वो भोर में प्रतिदिन 3 बजे उठना। योग, प्राणायाम करना। बिना तेल, नमक, चीनी एवं उबला हुआ भोजन करना स्वामी शिवानंद के सेहत के राज थे। स्वामी शिवानंद को भारत सरकार ने 2022 में पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया।यह सम्मान पाने वाले सबसे वृद्ध व्यक्ति है।

शिवानन्द का जन्म

स्वामी शिवानंद महाराज का जन्म 8 अगस्त 1896 ब्रिटिश भारत, वर्तमान समय बांग्लादेश के हबीगंज जिले के हरिताला गांव, बाहुबल उपजिला में हुआ था। घर की स्थिति सही नहीं होने के कारण माता-पिता कुछ साल बड़ी बहन आरती घर-घर भिक्षा मांग कर गुजारा करती थी। प्रसिद्ध भिक्षु स्वामी ओस्करानंद के साथ 1901 में नवद्वीप चले आए। 1977 उन्होंने वृंदावन आश्रम में दीक्षा ली। 2 साल बाद वृंदावन रहने के बाद 1979 में काशीवास करने लगे। दुर्गाकुंड स्थित कबीरनगर कॉलोनी में रहते थे। 3 मई 2025 में काशी में अंतिम सांस ली। जिनका अंतिम संस्कार काशी के प्रसिद्ध हरिश्चंद्र घाट में किया गया।

स्वामी शिवानंद के निधन से पीएम मोदी भी हुए थे दुखी 

स्वामी शिवानंद के निधन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रद्धांजलि देते हुए X पर लिखा कि योग और साधना को समर्पित उनका जीवन देश की हर पीढ़ी को प्रेरित करता रहेगा। योग के जरिए समाज की सेवा के लिए उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया था । शिवानंद बाबा का शिवलोक प्रयाण हम सब काशीवासियों और उनसे प्रेरणा लेने वाले करोड़ों लोगों के लिए अपूरणीय क्षति है, मैं इस दुख की घड़ी में श्रद्धांजलि देता हूं।

पद्म श्री सम्मान से सम्मानित बिमला पोद्दार

वाराणसी की जानी-मानी सामाजिक कार्यकर्ता और “ज्ञान प्रवाह” (gyan Pravaha) संस्थान की संस्थापक बिमला पोद्दार जो भारतीय संस्कृति के संरक्षण और अध्ययन के लिए प्रसिद्ध था। उनके कार्यों को देखते हुए भारत सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया गया । 14 मई 2025 को उनका निधन हुआ।

विलम पोद्दार का जन्म

बिमला पोद्दार का जन्म 28 अगस्त 1936 को वाराणसी में हुआ था जो एक समाजसेवी और परोपकारी महिला थी। वो वाराणसी के सामने घाट स्थित ज्ञान प्रवाह नमक सांस्कृतिक अध्ययन केंद्र ज्ञान प्रवाह का स्थापना किया था। जो प्राचीन भारत की कलाकृतियां वाले एक विरासत संग्रहालय का रखरखाव करती थी। विमल पोद्दार का विवाह एक समृद्ध व्यावसायिक परिवार स्वर्गीय विमल कुमार पोद्दार से हुआ था। यह परिवार कई व्यवसायों के निदेशक हैं। जिसमें अंबुजा सीमेंट भी शामिल है। विमल पोद्दार को भारत का चौथा सर्वोच्च भारतीय नागरिक पुरस्कार पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया था।

शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्रा

  • सुप्रसिद्ध शास्त्रीय गायक छन्नूलाल मिश्र किनारा घराना और बनारस घराना के प्रतिनिधि कलाकार थे। उन्होंने बनारसी संगीत और ठुमरी की परंपरा को वैश्विक पहचान दिलाई। 2 अक्टूबर 2025 को उनका निधन मिर्जापुर में हुआ जिनका अंतिम संस्कार वाराणसी में किया गया। जिनके निधन पर संगीत जगत तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्रद्धांजलि दी।
  • छन्नूलाल मिश्र का जन्म 3 अगस्त 1936 में उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के हरिहरपुर में हुआ था। मिश्रा जी के दादा गुड़ाई महाराज शांता प्रसाद एक प्रसिद्ध तबला वादक थे चंदूलाल मिश्र ने 6 वर्ष की आयु में अपने पिता बद्री प्रसाद मिश्र से संगीत की बारीकियां सीखी छन्नू लाल मिश्रा 9 साल की उम्र में उनके पहले गुरु उस्ताद गनी अली साहब ने खयाल सिखाया था।
  • छन्नू लाल मिश्र अपने पिता बद्री प्रसाद के साथ संगीत सीखा और किराना घराने को उस्ताद अब्दुल गनी खान ने उन्हें शिक्षित किया। छन्नूलाल मिश्र को खयाल, ठुमरी भजन दादरा कजरी और चैती के लिए जाना जाता है।
  • छन्नूलाल मिश्र को कई सम्मानों से सम्मानित किया गया जिसमें से मुख्य रूप से वर्ष 2000 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, 2010 में पद्मभूषण, 2020 में पद्म विभूषण जैसे सम्मान से सम्मानित किया गया है। छन्नूलाल मिश्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वाराणसी लोकसभा चुनाव के समय प्रस्तावक भी थे।

निधन पर पीएम ने क्या दिया संदेश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छन्नूलाल मिश्र को भारतीय कला और संस्कृति का संरक्षक बताया और कहा कि उनका जाना संगीत जगत के लिए अपूरणीय क्षति है, उन्होंने छन्नूलाल मिश्र के साथ व्यक्तिगत जुड़ाव 2014 में प्रस्तावक होने का भी जिक्र करते हुए श्रद्धांजलि दी।