वाराणसी के कबीर चौरा स्थित श्री कबीर आदर्श संस्कृत महाविद्यालय में नियुक्ति के नाम पर करोड़ों की उगाही का आरोप लगा है। पीठाधीश्वर ने 58 पन्नों का नोट जारी कर फर्जी दस्तावेज, अवैध कब्जे और शिक्षक भर्ती में भ्रष्टाचार का दावा किया है।

वाराणसी: काशी, जिसे ज्ञान और संस्कारों की राजधानी कहा जाता है, वहीं अब शिक्षा के मंदिर पर सवाल खड़े हो गए हैं। कबीर चौरा स्थित श्री कबीर आदर्श संस्कृत महाविद्यालय में नियुक्तियों को लेकर करोड़ों रुपये की कथित उगाही का आरोप सामने आया है। कबीर प्राकट्य स्थल के पीठाधीश्वर ने इस पूरे मामले को लेकर 58 पन्नों का विस्तृत नोट जारी कर शिक्षा व्यवस्था में गहरी साजिश का दावा किया है।

पीठाधीश्वर ने आरोप लगाया कि महाविद्यालय में प्रधानाचार्य से लेकर अध्यापक पदों तक की भर्तियों में खुलेआम धन उगाही की जा रही है। एक-एक पद के लिए 30 से 40 लाख रुपये तक की मांग की जा रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि इन नियुक्तियों पर तत्काल रोक नहीं लगी तो वे आमरण अनशन करने को मजबूर होंगे।

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10 पदों पर नियुक्ति में धांधली का आरोप

संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से संबद्ध श्री कबीर आदर्श संस्कृत महाविद्यालय में कुल 10 पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया चल रही है। इस प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए राज्य मंत्री रविंद्र जायसवाल, कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर, उत्तर प्रदेश शिक्षा विभाग और विश्वविद्यालय के कुलपति से शिकायत की गई है।

शिकायत में बिहार निवासी गरभू यादव पर फर्जी दस्तावेजों के सहारे महाविद्यालय पर कब्जा जमाने का आरोप लगाया गया है। पीठाधीश्वर का कहना है कि गरभू यादव को बिहार के एक मठ से आपराधिक गतिविधियों के चलते बाहर किया गया था, लेकिन अब वह कबीर चौरा स्थित इस शिक्षण संस्थान पर अवैध रूप से अधिकार जमाए बैठा है।

50 से अधिक अभ्यर्थियों को बुलाकर की गई कथित डील

आरोप है कि नियुक्ति के नाम पर 50 से अधिक अभ्यर्थियों को बुलाया गया और उनसे मोटी रकम की मांग की गई। कई अभ्यर्थियों ने खुद सामने आकर शिकायत की, लेकिन अब तक किसी स्तर पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई। पीठाधीश्वर गोविंद दास शास्त्री ने बताया कि संस्था के मंत्री राम मिलन गोस्वामी के पैरालिसिस अटैक के बाद गरभू यादव ने हालात का फायदा उठाकर पूरे संस्थान पर कब्जा कर लिया।

शिक्षा का केंद्र बना कथित अपराधियों का अड्डा

गोविंद दास शास्त्री ने कहा कि श्री कबीर आदर्श संस्कृत महाविद्यालय की स्थापना देशभर के 171 कबीर पंथियों ने मिलकर की थी, ताकि काशी में संस्कृत और कबीर दर्शन को बढ़ावा मिले। लेकिन आज यह संस्था एक ऐसे व्यक्ति के नियंत्रण में है, जिसे वे अपराधी बता रहे हैं। आरोप है कि महाविद्यालय के बाहर हथियारबंद व्यक्ति तैनात किया गया है, जो किसी को अंदर प्रवेश नहीं करने देता।

फर्जी महंत और फर्जी कागजात का आरोप

आचार्य महंत संत शरण दास ने भी गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि गरभू स्वामी बिहार के धनौती मठ के पूर्व महंत थे, जिन्हें आपराधिक मामलों के चलते पद से हटाया गया था। उन्होंने दावा किया कि गरभू स्वामी ने फर्जी कागजात बनवाकर कबीर विद्यालय की सोसाइटी में अपना नाम दर्ज करा लिया और अब नियुक्तियों के नाम पर मोटी रकम वसूल रहा है।

सरकार से हस्तक्षेप की मांग

कबीर पंथियों की मांग है कि सरकार और जिला प्रशासन के नेतृत्व में महाविद्यालय की नई कमेटी गठित की जाए और निष्पक्ष चुनाव कराकर कथित आरोपी को तत्काल हटाया जाए। उनका कहना है कि यदि समय रहते कार्रवाई नहीं हुई तो यह मामला शिक्षा व्यवस्था की साख पर गहरा सवाल बन जाएगा।

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