सार

Matrubhumi Yojana registration: उत्तर प्रदेश की 'मातृभूमि योजना' से अब ग्रामीण खुद अपने गांव का विकास कर सकते हैं। सरकार 40% खर्च वहन करेगी और दानदाता का नाम शिलापट्ट पर अंकित होगा। कई ज़िलों में काम शुरू हो चुका है, स्कूल, सड़क, खेल परिसर बन रहे हैं

Uttar Pradesh Matrubhumi Yojana: अब गांवों में दिखेगा बदलाव, जब नागरिक खुद बनेंगे विकास के भागीदार, उत्तर प्रदेश सरकार की एक नई सोच ने ग्रामीण भारत की तस्वीर बदलनी शुरू कर दी है। ‘मातृभूमि योजना’ के तहत अब कोई भी नागरिक अपने गांव में स्कूल, सीसी रोड, खेल परिसर, लाइटिंग जैसे बुनियादी विकास कार्य करवा सकता है — वो भी सरकार के सहयोग से। इस योजना ने एक नई क्रांति की नींव रखी है जिसमें जड़ें भी मजबूत होंगी और पहचान भी स्थायी होगी।

कौन-कौन से जिले बन रहे हैं प्रेरणा का स्रोत?

लखनऊ, बुलन्दशहर, उन्नाव, बिजनौर और बागपत जैसे जिलों में यह योजना धरातल पर उतर चुकी है।

  1. बुलन्दशहर में बन रहा स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स 80% तैयार हो चुका है।
  2. उन्नाव की कला अकादमी 40% तक बनकर तैयार है।
  3. बिजनौर में कन्या इंटर कॉलेज की नींव रखी जा चुकी है।
  4. बागपत में सीसी रोड निर्माण कार्य जोरों पर है।

क्या है मातृभूमि योजना की मूल संरचना?

इस योजना के अंतर्गत यदि कोई व्यक्ति अपने गांव में सार्वजनिक हित में निर्माण करवाना चाहता है, तो उसे कुल लागत का 60% खर्च स्वयं करना होगा, जबकि शेष 40% खर्च राज्य सरकार उठाएगी।

योजना का पंजीकरण पूरी तरह ऑनलाइन है।

निर्माण कार्य पर दानदाता का नाम शिलापट्ट पर दर्ज किया जाएगा, जिससे उनका योगदान हमेशा याद रखा जा सके।

अब तक कितनी प्रगति हुई है?

  • 16 योजनाएं पूर्ण हो चुकी हैं
  • 18 निर्माणाधीन हैं
  • 26 योजनाएं प्रस्तावित हैं

इस डेटा से स्पष्ट है कि योजना केवल कागजों तक सीमित नहीं है, बल्कि जमीन पर सक्रिय रूप से क्रियान्वित हो रही है।

किन निर्माण कार्यों को मिल रहा है प्राथमिकता?

  • सामुदायिक भवन
  • आंगनबाड़ी केंद्र
  • लाइब्रेरी
  • खेल मैदान और ओपन जिम
  • शुद्ध जल के लिए आरओ प्लांट
  • हाईमास्ट और सोलर लाइट
  • सीसीटीवी, सीवर कार्य
  • पशु प्रजनन केंद्र, दूध डेयरी
  • कौशल विकास केंद्र
  • अग्निशमन केंद्र, बस स्टैंड
  • श्मशान घाट, यात्री शेड व शौचालय

जुड़ाव की नई परिभाषा: गांव की मिट्टी से फिर जुड़ रहे प्रवासी

मातृभूमि योजना का सबसे बड़ा सामाजिक असर यह है कि जो लोग वर्षों से प्रदेश से बाहर या विदेश में रह रहे हैं, अब वे फिर से अपने गांव से जुड़ रहे हैं।

  1. वो गर्व से गांव के विकास में योगदान दे रहे हैं।
  2. और गांव के लोग उन्हें विकासकर्ता के रूप में सम्मान दे रहे हैं।

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