UP Brahmin MLAs Meeting News :उत्तर प्रदेश विधानसभा में चल रहे शीतकालीन सत्र के दौरान 50 से ज़्यादा ब्राह्मण विधायकों की सीक्रेट मीटिंग से सूबे का सियासी पारा गरम कर दिया है। एक साथ आए इन विधायकों ने सत्ता से लेकर विपक्ष तक के लिए चुनौती बढ़ा दी है।
उत्तर प्रदेश विधानसभा में इन दिनों शीतकालीन सत्र चल रहा है। सभी पार्टियों के विधयाकों ने राजधानी लखनऊ में अपना डेरा जमाया हुआ है। लेकिन इसी बीच एक ऐसी तस्वीर सामने आई है, जिसने यूपी ही नहीं, पूरी देश की सियासत का सियासी पारा गर्म कर दिया है। दरअसल, सूबे के 50 से ज्यादा ब्राह्मण विधायकों ने एक साथ बंद कमरें में सीटिंग मीटिंग की है। दिलचस्प बात यह है कि इस मीटिंग में सत्ताधारी पार्टी बीजेपी से लेकर तमाम राजनीतिक दलों के एमएलए पहुंचे हुए थे।
भाजपा MLA पाठक के आवास पर थी सीक्रेट मीटिंग
उत्तर प्रदेश में इन ब्राह्मण जाति की विधायकों की यह बैठक मंगलवार शाम को कुशीनगर के भाजपा विधायक पंचानंद पाठक के लखनऊ वाले आवास पर पर हुई थी। बताया जा रहा है कि पाठक की पत्नी के जन्मदिवस पर यह विधायक आए हुए थे। लेकिन सियासी गलियारों में चर्चा है कि बर्थडे तो सिर्फ एक बहाना है, इसके पीछे जरूर ब्राह्मण विधायकों ने कोई रणनीति बनाई है। जिसका सीधा कनेक्शन 2027 के विधानसभा चुनाव से है। जिसके कारण ही ब्राह्मण विधायकों का कुटुम्ब तैयार हो गया है।
मिर्जापुर विधायक का इस बैठक में सबसे बड़ा रोल
बताया जा रहा है कि एक साथ एक मंच पर 50 से ज्यादा ब्राह्मण विधायकों को लाने में सबसे बड़ा रोल मिर्जापुर विधायक रत्नाकर मिश्रा और एमएलसी उमेश द्विवेदी की है, जिन्होंने इस मीटिंग में अहम भूमिका निभाई है। वहीं जब मीडिया ने विधायक रत्नाकर मिश्रा से इस बैठक पीछे की वजह पूछी तो उन्होंने कहा कि सभी विधायक पंचानंद पाठक के यहां पर हुई पत्नी के जन्मदिन के आयोजन में आए हुए थे। उन्होंने कहा इस दौरान हमारी कोई राजनीतिक चर्चा नहीं हुई। सिर्फ नार्मल बातचीत हुई, और सभी ने खाना खाया और अपने अपने घर के लिए निकल गए। इस तरह तो हम पहले भी बैठ चुके हैं। इसके पीछे कोई राजनीतिक मकसद नहीं था।
ब्राह्मण विधायकों की बैठक से योगी सरकार के लिए टेंशन?
बता दें कि ब्राह्मण विधायकों ने इस सीक्रेट बैठक को सहभोज नाम दिया है। सबसे ज्यादा विधायक बीजेपी पार्टी से पहुंचे हुए थे। जानकारों का कहना है कि इस समय यूपी विधानसभा में 52 ब्राह्मण विधायक हैं, जिसें 46 भाजपा के हैं। लेकिन इसके बाद भी ब्राह्मणों की नहीं सुनी जा रही है। बताया तो यह भी जा रहा है कि सूबे में सभी जाति के विधायकों ने मीटिंग की और वह पॉवरफुल हो गए, लेकिन ब्राह्मण विधायकों की आवाज दबती जा रही है। इसलिए उन्होंने एक होने के लिए यह मीटिंग की है और आगे की रणनीति बनाई है। ब्राह्मण विधायकों की इस बैठक से सूबे के सरकार और सीएम योगी आदित्यनाथ के लिए चिनौती बढ़ गई है। अब देखना होगा कि आने वाले समय में क्या होता है।


