BHU PhD History Department students protesting : BHU के इतिहास विभाग के PhD के छात्र इस कड़कड़ाती ठंड के बीच आंदोलन कर रहे हैं। उनका कहना कि जब तक मैनेजमेंट उनकी मांगे नहीं मानता वह यहीं बैठे रहेंगे।   

काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) एक बार फिर छात्र आंदोलनों और प्रशासनिक विवादों को लेकर चर्चा में है। इस बार इतिहास विभाग के पीएचडी शोधार्थियों ने कथित प्रवेश अनियमितताओं, जातिगत भेदभाव और शैक्षणिक नुकसान का आरोप लगाया है। शोध छात्रों द्वारा कपकपाती ठंड में लगातार तीसरे दिन आंदोलन जारी है।

13 पीएचडी शोधार्थी धरने पर बैठे

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के सेंट्रल ऑफिस में गेट पर सोमवार से 13 पीएचडी शोधार्थी धरने पर बैठे हैं। छात्रों ने विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग में शोध प्रवेश प्रक्रिया में अनियमितता एवं भेदभाव का गंभीर आरोप लगाया है। आंदोलन में बैठे शोधार्थियों को विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से अभी तक कोई ठोस समाधान का आश्वासन नहीं मिला है।

क्या है पूरा मामला?

धरनारत छात्रों का कहना है कि वे शैक्षणिक सत्र 2024-25 के इतिहास विभाग के पीएचडी शोधार्थी हैं, जिनका चयन RET (Research Entrance Test) श्रेणी के तहत हुआ था। सभी छात्रों ने 23 मार्च 2025 को मुख्य परिसर (DMC – Department of Main Campus) में प्रवेश के लिए निर्धारित शुल्क भी जमा किया था। हालांकि, लगभग सात महीने बाद 25 अक्टूबर 2025 को जारी प्रवेश सूची में गंभीर अनियमितताएं सामने आईं।

सीट आवंटन पर उठे सवाल

छात्रों के अनुसार, इतिहास विभाग में कुल 43 सीटें थीं। जिसमें 13 छात्रों को संबद्ध (एफिलिएटेड) कॉलेजों में भेज दिया गया। 15 छात्रों को मुख्य परिसर (DMC) में रखा गया। धरनागत छात्रों का आरोप है कि जिन 13 छात्रों को एफिलिएटेड कॉलेजों में भेजा गया, वे सभी आरक्षित वर्ग से हैं। वहीं, DMC में रखे गए 15 छात्रों में अधिकांश सामान्य वर्ग के हैं, जिनमें केवल 2 OBC छात्र शामिल हैं।

क्या है बीएचयू के छात्रों की मांग?

शोधार्थियों का आरोप है कि यह निर्णय स्पष्ट रूप से जातिगत भेदभाव को दर्शाता है। इसको लेकर उन्होंने 27 अक्टूबर 2025 को विभागाध्यक्ष, परीक्षा नियंत्रक, उप-कुलसचिव, कुलसचिव और संयुक्त SC/ST-OBC प्रकोष्ठ को लिखित आवेदन सौंपा। 29 अक्टूबर 2025 को सामाजिक विज्ञान संकाय के डीन और कुलपति को आवेदन व ई-मेल के माध्यम से अवगत कराया।

लोकपाल की भूमिका भी बेअसर

मामले की गंभीरता को देखते हुए कुलपति द्वारा लोकपाल की नियुक्ति की गई। लोकपाल ने समाधान के लिए छात्रों से कंसेंट फॉर्म भरवाने को कहा, जिसे छात्रों ने 17 नवंबर 2025 को विभाग में जमा कर दिया। इसके बावजूद 20 दिसंबर 2025 को विभाग ने पुनः वही सूची जारी कर दी, जिसमें फिर से उन्हीं 13 आरक्षित वर्ग के छात्रों को एफिलिएटेड कॉलेजों में ही रखा गया।

छात्रों का कहना है कि सामाजिक विज्ञान संकाय के अन्य विभागों में कंसेंट के आधार पर छात्रों को DMC में रखा गया, लेकिन इतिहास विभाग में उनके साथ अलग व्यवहार किया गया।

10 महीने से नहीं हो पा रही पढ़ाई

धरनारत छात्रों का आरोप है कि वे पिछले 10 महीनों से मानसिक उत्पीड़न, जातिगत भेदभाव और गंभीर शैक्षणिक क्षति झेल रहे हैं। मजबूर होकर उन्होंने 22 दिसंबर 2025 से धरना आंदोलन शुरू किया है।