PMAY-U housing price increase: PMAY-U योजना के तहत EWS वर्ग के लिए घरों की कीमतें बढ़ सकती हैं। बढ़ती निर्माण लागत के चलते बिल्डर्स की रुचि कम हो रही है, जिससे सरकार घरों का कारपेट एरिया बढ़ाने और कीमतों में संशोधन पर विचार कर रही है।

PM Awas Yojana Urban 2.0: प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी (PMAY-U) 2.0 के तहत सस्ता घर पाने का सपना देख रहे आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लोगों को अब अपनी जेब थोड़ी और ढीली करनी पड़ सकती है। सरकार AHP कैटेगरी के तहत बनने वाले किफायती आवासों के दाम बढ़ाने की तैयारी में है। इस योजना के अंतर्गत प्राइवेट बिल्डरों के सहयोग से तैयार किए गए घर बेहद कम कीमत पर लाभार्थियों को दिए जाते हैं, लेकिन अब इसकी मौजूदा कीमतें प्रोजेक्ट के लिए बड़ी चुनौती बनती जा रही हैं।

बढ़ती लागत, घटती रुचि: बिल्डर्स ने खींचे हाथ

अब तक 4.5 लाख से 6.5 लाख रुपये की कीमत में 30 से 45 वर्ग मीटर के फ्लैट्स दिए जाते रहे हैं। इनमें 2.5 लाख रुपये की सब्सिडी केंद्र सरकार देती है। लेकिन प्राइवेट बिल्डर्स का कहना है कि मौजूदा मूल्य पर निर्माण लागत निकलना मुश्किल है, जिससे उनकी रुचि इस योजना से जुड़ने में कम होती जा रही है।

प्रशासन की योजना: अफसरों ने इस विषय पर हाल ही में एक बैठक की, जिसमें मकानों का कारपेट एरिया बढ़ाने और कीमत संशोधन की सिफारिश की गई है। केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों के तहत यह बदलाव राज्यों द्वारा किए जा सकते हैं।

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क्या है AHP (Affordable Housing in Partnership) कैटेगरी?

AHP कैटेगरी के तहत: 

  1. प्राइवेट बिल्डर्स को कम से कम 25% EWS यूनिट्स ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट में बनानी होती हैं। 
  2. इन घरों के लिए पात्रता उन्हीं को होती है जिनकी वार्षिक आय 3 लाख रुपये से कम हो।
  3.  घर का आकार: 30 से 45 वर्ग मीटर कारपेट एरिया।
  4.  लाभार्थियों को सूची में नाम आने के बाद बुकिंग अमाउंट जमा करना होता है।
  5.  केंद्र सरकार की तरफ से आर्थिक सहायता तभी मिलती है जब 25% फ्लैट EWS को अलॉट किए जाएं।

‘नो प्रॉफिट, नो लॉस’ पर घर, लेकिन अब मुश्किल

PMAY-U में EWS वर्ग के लिए बने घरों को ‘No Profit No Loss’ सिद्धांत पर बनाया जाता है। हालांकि, ज़मीन, निर्माण सामग्री और लेबर लागत बढ़ने से बिल्डर्स के लिए यह संतुलन बनाना चुनौतीपूर्ण हो गया है। प्रस्तावित बदलावों में कारपेट एरिया बढ़ाने के साथ प्रति वर्ग मीटर कीमत संशोधित करना शामिल है, ताकि योजना के तहत परियोजनाएं व्यवहार्य बन सकें।

क्या होगा असर?

  1. लाभार्थियों पर कीमत का बोझ बढ़ सकता है। 
  2. आवेदन प्रक्रिया में बदलाव की संभावना है।
  3. योजना की गति को बनाए रखने के लिए सरकारी सब्सिडी का हिस्सा भी पुन: संरचित हो सकता है।

PM Awas Yojana Urban 2.0 में हो रहे संभावित बदलावों से उन लोगों पर असर पड़ सकता है जो कम कीमत में शहर में अपना खुद का घर पाना चाहते हैं। हालांकि योजना का उद्देश्य अभी भी यही रहेगा कि ज्यादा से ज्यादा जरूरतमंदों को आवास मिल सके, लेकिन प्राइवेट बिल्डर्स की सहभागिता बनाए रखने के लिए कीमतों में संतुलन ज़रूरी हो गया है।

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