bulandshahr Latest news: जिसकी जान बचाई, उसी ने मौत दे दी! यूपी का होनहार कबड्डी खिलाड़ी बृजेश सोलंकी बना रेबीज का शिकार, मामूली घाव समझकर नहीं लगवाई वैक्सीन, लक्षण दिखे तो कई अस्पतालों ने इलाज से कर दिया इनकार…जानिए पूरी कहानी!

Kabaddi player rabies death: उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव का होनहार युवा, जो राज्य स्तरीय कबड्डी खिलाड़ी था, उसने एक मासूम पिल्ले की जान बचाई। लेकिन नियति ने उसके लिए कुछ और ही सोच रखा था। पिल्ले के मामूली से काटने को कबड्डी चोट समझकर नज़रअंदाज़ करना 22 वर्षीय बृजेश सोलंकी को रेबीज जैसी खतरनाक बीमारी की ओर ले गया। अंततः बृजेश की इलाज न मिलने और जानकारी के अभाव में मौत हो गई।

बृजेश  एक उभरता हुआ खिलाड़ी 

बुलंदशहर के फराना गांव, खुर्जा नगर कोतवाली क्षेत्र निवासी बृजेश सोलंकी राज्य स्तर पर कबड्डी खेल चुका था और प्रो कबड्डी लीग में चयन की तैयारी कर रहा था। वह अपने परिवार का एकमात्र कमाने वाला था और अपने तीन भाई-बहनों में सबसे छोटा था। गांव और आसपास के क्षेत्र में उसे एक मेहनती और अनुशासित खिलाड़ी के रूप में जाना जाता था।

जिस पिल्ले को बचाया, उसी ने काटा 

कुछ हफ्ते पहले गांव में अभ्यास के दौरान बृजेश ने नाले में गिरते हुए एक पिल्ले को बचाया। उसी दौरान पिल्ले ने उसकी उंगली को हल्के से काट लिया। बृजेश ने इस घटना को गंभीर नहीं समझा। उसे लगा कि चोट शायद कबड्डी की ट्रेनिंग के दौरान लगी है। यही भ्रम और लापरवाही उसकी जान ले गई।

 

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वैक्सीन नहीं लगवाई, लक्षण देर से उभरे 

बृजेश ने एंटी-रेबीज वैक्सीन नहीं लगवाई। उसे बाद में हाथ में तेज़ दर्द हुआ और पानी से डर लगने लगा, जिसे हाइड्रोफोबिया कहा जाता है – यह रेबीज का प्रमुख लक्षण होता है। लक्षण दिखाई देने के बाद उसके परिवार ने उसे कई अस्पतालों में दिखाया, लेकिन उन्हें हर जगह से इलाज के इनकार का सामना करना पड़ा।

अस्पतालों ने इलाज से किया इनकार 

बृजेश के भाई संदीप कुमार के अनुसार, वे पहले खुर्जा फिर अलीगढ़ और दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में गए, लेकिन कहीं इलाज नहीं मिला। आखिरकार नोएडा के एक अस्पताल में डॉक्टरों ने बताया कि यह रेबीज का मामला हो सकता है, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी।

रास्ते में गई खिलाड़ी की जान 

जब परिवार ने मथुरा के एक आस्थावान चिकित्सक के पास ले जाने का निर्णय लिया, तब बृजेश की हालत और बिगड़ गई। रास्ते में ही उसकी मौत हो गई। उसकी असामयिक मृत्यु ने पूरे गांव को सदमे में डाल दिया।

 

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परिवार की मांग – मिले सरकारी मदद 

बृजेश के भाई ने मांग की कि चूंकि बृजेश घर का एकमात्र कमाने वाला था, इसलिए सरकार परिवार को सहायता दे और किसी एक सदस्य को नौकरी दे। इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना ने ना केवल एक होनहार खिलाड़ी को हमसे छीन लिया, बल्कि एक परिवार की उम्मीदें भी तोड़ दीं।

स्वास्थ्य विभाग ने कबड्डी खिलाड़की मौत पर क्या कहा?

बृजेश की मौत के बाद, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुनील कुमार दोहरे ने गांव का दौरा किया और कहा कि बृजेश में रेबीज के क्लासिक लक्षण हाइड्रोफोबिया देखे गए। हालांकि सटीक कारण पोस्टमॉर्टम और मेडिकल जांच के बाद ही पता चलेगा। गांव में तत्काल 29 लोगों को रेबीज वैक्सीन लगाया गया और जागरूकता अभियान शुरू किया गया।

यह सिर्फ एक केस नहीं- सबक है!

यह घटना बताती है कि रेबीज जैसे संक्रमण को हल्के में लेना कितना घातक हो सकता है। यदि समय रहते वैक्सीन लगवाई जाती या सही इलाज मिलता, तो एक होनहार खिलाड़ी की जान बच सकती थी। अगर कभी किसी भी जानवर (कुत्ता, पिल्ला, बिल्ली या बंदर) से मामूली खरोंच या काट भी जाए, तो बिना समय गंवाए नज़दीकी सरकारी अस्पताल जाकर तुरंत एंटी-रेबीज वैक्सीन लगवाएं। यह एक साधारण उपाय आपके जीवन को बचा सकता है।