Digital Arrest Scam: "डिजिटल गिरफ्तारी" का नया साइबर ट्रैप! नोएडा की वरिष्ठ वकील और एक रिटायर्ड बुजुर्ग को कॉल पर फर्जी पुलिस बनाकर ठगों ने डाला डर का जाल, फिर खाते की जानकारी लेकर उड़ा लिए 3.78 करोड़! ऐसे अपराधी अब आम लोगों को भी बना रहे हैं शिकार…
Noida Lawyer, Retired Man Trapped in Digital Arrest Fraud: उत्तर प्रदेश के हाईटेक शहर नोएडा में एक चौंकाने वाला साइबर अपराध सामने आया है। यहां दो वरिष्ठ नागरिकों – एक 73 वर्षीय महिला वकील और एक 75 वर्षीय रिटायर्ड व्यक्ति – को फर्जी कॉल, आधार कार्ड का दुरुपयोग और "डिजिटल गिरफ्तारी" के नाम पर इतना डरा दिया गया कि उन्होंने अपनी जीवनभर की कमाई खुद ठगों के खातों में ट्रांसफर कर दी। दोनों मामलों में ठगी की कुल राशि करीब 3.78 करोड़ रुपये है।
पहला मामला: वरिष्ठ वकील को फंसाया 'अपराधी' बनाकर
नोएडा सेक्टर-29 की रहने वाली 73 वर्षीय हेमंतिका वाही, एक अनुभवी अधिवक्ता हैं। उन्होंने पुलिस को दी गई शिकायत में बताया कि 10 जून को उन्हें एक अनजान नंबर से कॉल आया। कॉल करने वाले ने खुद को एक सरकारी एजेंसी का अधिकारी बताते हुए दावा किया कि उनके आधार कार्ड से चार फर्जी बैंक खाते खोले गए हैं, जिनका इस्तेमाल जुआ, हथियारों की खरीद, और ब्लैकमेलिंग जैसे गंभीर अपराधों में किया जा रहा है।
"मुंबई पुलिस" के अफसर बनकर दिया झांसा
इसके बाद उन्हें एक और नंबर दिया गया और जब उन्होंने वहां कॉल किया तो दूसरी ओर से कथित "मुंबई पुलिस" के अफसर ने उन्हें बताया कि वह गंभीर अपराध में आरोपी हैं और उनकी "डिजिटल गिरफ्तारी" हो चुकी है। उनसे बार-बार पूछताछ की गई, डराया गया और यह कहा गया कि यदि वे सहयोग नहीं करेंगी तो तुरंत उनकी संपत्ति जब्त कर ली जाएगी।
डर और भ्रम में अधिवक्ता ने शेयर कर दी बैंक एकाउंट्स डिटेल
डर और भ्रम के माहौल में, वकील ने अपनी बैंकों में जमा राशि की जानकारी शेयर कर दी और अगले कुछ दिनों में कुल 3.29 करोड़ रुपये ठगों को ट्रांसफर कर दिए। उन्हें ये कहा गया कि यह पैसा ‘सत्यापन’ के लिए जरूरी है, जिसे बाद में लौटा दिया जाएगा।
दूसरा मामला: रिटायर्ड बुजुर्ग को बनाया 12 दिन का ‘डिजिटल कैदी’
इस घोटाले का दूसरा शिकार बने नोएडा सेक्टर-29 के ही रहने वाले 75 वर्षीय राजीव कुमार, जो एक रिटायर्ड सरकारी अधिकारी हैं। उन्हें 18 जून को लैंडलाइन पर एक कॉल आया, जिसमें बताया गया कि उनके आधार नंबर से चार बैंक खाते खुले हैं, जिनका इस्तेमाल मादक पदार्थों की तस्करी, मानव तस्करी और आतंकी गतिविधियों में किया जा रहा है।
कॉलर ने रिटायर्ड अफसर को दी धमकी
फोन करने वाले ने धमकी दी कि उनका नंबर दो घंटे में बंद कर दिया जाएगा और इस मामले में उनके खिलाफ जल्द गिरफ्तारी हो सकती है। जब उन्होंने डर के मारे मदद मांगी तो आरोपियों ने "गोपनीय समझौते" की बात कहकर उन्हें चुप रहने को कहा।
पत्नी को साथ रखने लेकिन बच्चों से दूरी की रखी गई शर्त
राजीव को 18 से 30 जून तक ‘डिजिटल गिरफ्तारी’ में रखा गया, यानी उन्हें लगातार कॉल्स करके डराया गया, पत्नी को साथ रखने की शर्त रखी गई और बच्चों से भी यह बात छिपाने को कहा गया। इस दौरान आरोपियों ने उनसे 49.5 लाख रुपये तीन किस्तों में अपने खातों में ट्रांसफर करवाए।
पुलिस का अलर्ट और जांच की दिशा
नोएडा साइबर क्राइम सेल की डीसीपी प्रीति यादव ने दोनों मामलों की पुष्टि की है। उनके अनुसार, एफआईआर दर्ज कर ली गई है और टेक्निकल सर्विलांस की मदद से जांच की जा रही है। फर्जी पुलिस स्टेशन और कॉल सेंटर ऑपरेट करने वालों की तलाश की जा रही है। पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि वे ऐसे किसी कॉल से सावधान रहें और यदि कोई भी व्यक्ति आधार, बैंक खाते, या गिरफ्तारी से जुड़ा डर दिखाकर कॉल करे तो तुरंत साइबर हेल्पलाइन 1930 या cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें।
सावधान रहें, सतर्क रहें!
इस घटना ने साफ कर दिया है कि साइबर ठग अब बेहद चालाक हो गए हैं और अब वे केवल तकनीकी हथकंडों से ही नहीं बल्कि मानसिक और भावनात्मक दबाव बनाकर भी लोगों को लूट रहे हैं। "डिजिटल गिरफ्तारी" जैसे नए ट्रेंड का इस्तेमाल कर वे समाज के सबसे समझदार और अनुभवी तबकों को भी निशाना बना रहे हैं।