Aligarh station name change: अलीगढ़ के दाऊद खां रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर महाराणा प्रताप रखने की मांग उठी है। भाजपा सांसद सतीश गौतम ने रेल मंत्री को पत्र लिखकर यह मांग की है। उनका कहना है कि दाऊद खां नाम आतंक से जुड़ा है.

Dawood Khan railway station rename: देश में इन दिनों रेलवे स्टेशनों और शहरों के नाम बदलने का चलन तेज़ी से बढ़ रहा है। इसी कड़ी में अब उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में स्थित दाऊद खां रेलवे स्टेशन को लेकर भी नया विवाद खड़ा हो गया है। भाजपा सांसद सतीश गौतम ने रेल मंत्री को पत्र लिखकर स्टेशन का नाम बदलने की मांग की है। उन्होंने स्टेशन का नाम बदलकर महाराणा प्रताप रखने का सुझाव भी दिया है।

“दाऊद खां का न तो इतिहास है, न सम्मान” - सांसद का बयान

सांसद गौतम का कहना है कि दाऊद खां नाम किसी आतंकवादी से जुड़ा है, जिसका अलीगढ़ या स्टेशन के आसपास से कोई ऐतिहासिक संबंध नहीं रहा। उन्होंने कहा,“जिस व्यक्ति का न अलीगढ़ से नाता हो, न कोई सांस्कृतिक पृष्ठभूमि हो, उसके नाम पर स्टेशन क्यों?”

सांसद ने यह भी जोड़ा कि दाऊद खां जैसे नाम को देखकर लोगों में भय पैदा होता है। उन्होंने इसे देश की बेटियों के सिंदूर उजाड़ने वाला नाम बताया और कहा कि इसका नाम लेना भी लोग पसंद नहीं करते।

महाराणा प्रताप: गौरव और प्रेरणा का प्रतीक

सतीश गौतम ने स्टेशन का नाम महान स्वतंत्रता सेनानी महाराणा प्रताप के नाम पर रखने की सिफारिश की है। उन्होंने कहा कि “महाराणा प्रताप भारत माता के वीर सपूत थे, जिन्होंने विदेशी आक्रमणकारियों से देश की रक्षा की। यदि स्टेशन का नाम उनके नाम पर रखा जाए, तो यह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा बन सकता है।”

उन्होंने यह उम्मीद भी जताई कि रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव, जो नवाचार के लिए जाने जाते हैं, इस अनुरोध पर ज़रूर विचार करेंगे।

यूपी में पहले भी बदले जा चुके हैं रेलवे स्टेशनों के नाम

यह पहली बार नहीं है जब यूपी में रेलवे स्टेशनों के नाम बदले गए हों। बीते साल ही राज्य में 8 रेलवे स्टेशनों के नाम बदले गए थे। इनमें शामिल हैं:

  1. फुरसतगंज
  2. कासिमपुर हॉल्ट
  3. जायस
  4. बनी
  5. मिसरौली
  6. निहालगढ़
  7. अकबरगंज
  8. वारिसगंज

इसके अलावा, प्रसिद्ध मुगलसराय जंक्शन को भी बदला गया है और अब वह पंडित दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन के नाम से जाना जाता है।

राजनीति, पहचान और नई बहस

इस मांग के बाद अलीगढ़ में एक बार फिर से राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। कुछ इसे राजनीतिक स्टंट मान रहे हैं, तो कुछ इसे राष्ट्रीय अस्मिता से जुड़ा मुद्दा बता रहे हैं। सवाल यह भी है कि क्या नाम बदलने से इतिहास बदल जाएगा, या यह एक जरूरी सांस्कृतिक सुधार है?