सार
जयपुर. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को एक खास मुलाकात के दौरान दुबई के क्राउन प्रिंस शेख हमदान बिन मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम का अपने निवास पर गर्मजोशी से स्वागत किया। इस अवसर पर पीएम मोदी ने उन्हें मेवाड़ की वीरता और इतिहास की याद दिलाने वाली महाराणा प्रताप के घोड़े 'चेतक' की प्रतिमा भेंट की। यह प्रतिमा भारत की सांस्कृतिक विरासत और साहस की प्रतीक मानी जा रही है।
चेतक: रफ्तार और वफादारी की मिसाल
पीएम मोदी ने बताया कि चेतक सिर्फ एक घोड़ा नहीं था, बल्कि वह महाराणा प्रताप का सबसे भरोसेमंद साथी था। युद्धभूमि में घायल होने के बावजूद चेतक ने प्रताप की जान बचाई थी। गुजरात के भीमोरा गांव से खरीदे गए इस काठियावाड़ी नस्ल के घोड़े की गाथा आज भी राजस्थान की धरती पर लोकगीतों में गूंजती है।
हल्दीघाटी का वीर योद्धा
1576 के हल्दीघाटी युद्ध में चेतक ने जो साहस दिखाया, वह इतिहास में अमर हो गया। युद्ध के दौरान बुरी तरह घायल होने के बावजूद उसने 25 फीट चौड़ा नाला पार कर महाराणा प्रताप को सुरक्षित स्थान तक पहुंचाया। अंततः चेतक ने अपने प्राण त्याग दिए, लेकिन प्रताप की जान बचाने में सफल रहा।
राजसमंद में चेतक की समाधि चेतक
- वीरता को सम्मान देने के लिए आज भी राजसमंद जिले के हल्दीघाटी क्षेत्र में उसकी समाधि स्थित है। मान्यता है कि स्वयं महाराणा प्रताप और उनके भाई शक्तिसिंह ने उसके अंतिम संस्कार की रस्में निभाईं। यह स्थल आज भी पर्यटकों और इतिहास प्रेमियों के लिए श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है।
- पीएम मोदी की यह भेंट न केवल भारत-यूएई संबंधों की मजबूती का संकेत है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक विरासत के प्रति सम्मान भी दर्शाती है।