सार
जालोर. राजस्थान के जालोर जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने सामाजिक न्याय और संविधान के मूल्यों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यहां लव मैरिज करने पर न केवल एक जोड़े को तिरस्कार का सामना करना पड़ा, बल्कि लड़की के ससुराल पक्ष से जुड़े करीब 100 मेघवाल परिवारों को भी पंचायत ने समाज से बहिष्कृत कर दिया। यह मामला भीनमाल उपखंड के नासोली गांव का है, जहां पिंकी मेघवाल नाम की युवती ने अपनी पसंद से श्रवण मेघवाल से विवाह किया। लेकिन विवाह के कुछ समय बाद ही जाति पंचायत सक्रिय हो गई और इसे "समाज विरोधी" ठहराते हुए बड़ा कदम उठा लिया।
पंचायत ने 12 लाख का जुर्माना भी लगाया
पंचायत ने ना सिर्फ जोड़े को बल्कि श्रवण के पूरे खानदान और आस-पास के करीब 100 परिवारों को भी बहिष्कृत करने का निर्णय सुनाया। इतना ही नहीं, इन परिवारों पर 12 लाख रुपये का सामूहिक जुर्माना भी ठोक दिया गया। अब इन लोगों को किसी भी सामाजिक कार्यक्रम, शादी या अन्य उत्सव में शामिल होने से रोका जा रहा है।
पीड़ित परिवार ने लगाई इंसाफ की गुहार
पीड़ित परिवारों ने इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई है और स्थानीय थाने में शिकायत दर्ज कराई है। पुलिस ने मामला संज्ञान में लेते हुए जांच शुरू कर दी है। हालांकि पंचायत पक्ष इस आरोप को सिरे से नकार रहा है। उनका कहना है कि किसी को भी समाज से निकाला नहीं गया। लेकिन पीड़ितों के अनुसार, उन्हें खुले तौर पर सामाजिक भेदभाव और बहिष्कार का सामना करना पड़ रहा है।
राजस्थान में ऐसे केस में हुक्का-पानी हो जाता है बंद
यह कोई पहला मामला नहीं है जब किसी ग्रामीण पंचायत ने इस तरह का "तुगलकी फरमान" सुनाया हो। राजस्थान के कई इलाकों में आज भी पंचायतें प्रेम विवाह, अंतरजातीय संबंधों और सामाजिक बदलावों को स्वीकार नहीं करतीं। कहीं हुक्का-पानी बंद कर दिया जाता है, तो कहीं गांव से निकालने जैसी सजा दी जाती है।
संविधान होने बाद भी 100 परिवार को खतरनाक सजा
हालांकि भारत का संविधान हर व्यक्ति को अपने जीवनसाथी चुनने का अधिकार देता है, लेकिन ऐसे फैसले इस अधिकार को सीधे चुनौती देते हैं। खासकर जब पीड़ित पक्ष अनुसूचित जाति से हो, तो यह मामला SC/ST एक्ट के तहत भी दंडनीय बन जाता है।राजस्थान की पंचायत का तानाशाही फैसला लव मैरिज करने पर 100 परिवार को दी खतरनाक सजा....